चुनाव वाले साल में समाचार पत्रों की शुरुआत होना किस बात की ओर संकेत करता है

मध्‍यप्रदेश में इस साल के अंत में ही विधान सभा के चुनाव होने हैं और जैसे कि संकेत मिल रहे हैं कि  इस बार के चुनाव बहुत ही रोचक होने हैं । पिछले चुनावों में तो दो बातें सीधे सीधे ही भाजपा के पक्ष में थीं पहली तो ये कि कांग्रेस के मुख्‍यमंत्री से जनता नाराज थी और दूसरे भाजपा की फायर ब्रांड नेत्री उमा भारती ने प्रचार की कमान संभाली थी । परिणाम भाजपा के लिये सुखद रहा । इस बार बात दूसरी है । भाजपा के मुख्‍यमंत्री तो बहुत ज्‍यादा अलोकप्रिय नहीं हुए हैं पर उनके मंत्रीगण खुलकर खेल रहे हैं । कहा जा रहा है कि इन दिनों मध्‍यप्रदेश में भ्रष्‍टाचार चरम पर है । तो हो सकता है कि भाजपा के मंत्री ही भाजपा को ले डूबें । कांग्रेस की अगर बात करें तो कांग्रेस तो ऐसा लग रहा है मानो चुनाव को लेकर अभी मन ही नहीं बना पाई है कि चुनाव इसी साल होने हैं । टूटी और बिखरी कांग्रेस के लिये ये चुनाव बहुत मुश्किल साबित होने हैं । उमा भारती की भाजश की अगर बात करें तो उसका काम एक ही होगा भाजपा को कितना नुकसान पहुंचाया जाए और दरअसल में ये ही भाजपा के लिये चिंता का विषय है क्‍योंकि पिछले चुनावों में 70 सीटें ऐसी थीं जहां पर फैसला 3 से 4 हजार के अंतर से हुआ था वो भी भाजपा की मजबूत लहर में तो इस बार भाजश ने अगर उतने ही वोट काट दिये तो । उधर मायावती के कारण बुदेलखंड में बसपा मजबूत है । कुलमिलाकर एक त्रिशंकु विधानसभा के संकेत मिल रहे हैं और इसी खेती को काटने के लिये आ रहे हैं नए नए समाचार पत्र । पत्रिका आ गया  हिन्‍दुस्‍तान आ रहा है और विजय द्वार आने को है । दरअसल में जहां हरियाली दिखाई देती है सारे सांड चरने के लिये उसी तरफ दौड़ते हैं और अज के समचार पत्रों के मालिक भी ये ही हो गए हैं सारी हरियाली को चर जाना चाहते हैं और जब एक पहले से चर रहे सांड के इलाके में नया सांड आता है तो जाहिर सी बात है लड़ाई तो होगी ही ।

नवदुनिया :- रेटिंग ****

आज नवदुनिया  की बात पहले की जाए क्‍योंकि आज इसने अच्‍छे समाचार लगा कर बाजी मार ली है । सबसे पहले तो बिल्‍कुल जनता की और पाठकों की रुचि का समाचार आज लीड किया है । जिसमें सीहोर जिले के दो हिस्‍से हो जाने की संभावना और नए जिले के गठन की बात कही गई है । नसरुल्‍लागंज जो कि मुख्‍यमंत्री का क्षेत्र है का नया जिला बनने का समाचार आज खूब पढ़ा भी जाएगा और देर रात को सजने वाले पटियों पर बहस का विषय भी बनने वाला है । समाचार समग्र है । शहर में सटाम्‍प पेपरों का टोटा होने का समाचार भी अच्‍छा है और एक सुंदर सा खजूर का पेड़ का फोटो भी पेज का आकर्षण बढ़ा रहा है । प्री मानसून का समाचार चित्रों के साथ अच्‍छा लगा है । बरसात में सरकारी मकानों को लेकर भी एक समाचार लगा है । अंदर के पृष्‍ठों में दुकानों के अतिक्रमण हटाने का पुलिसिया कार्यवाई का समाचार मुख्‍य है ।

भास्‍कर :- रेटिंग **

भास्‍कर  का पेज आज कमजोर है आइये अब एक मूर्खता का नमूना देखें । समाचार है बाढ़ का खतरा  और सब हेडिंग है  बाढ़ से घिर जाते हैं सौ गांव  पूरे समाचार में उन गांवों का जिक्र है जो कि बाढ़ से घिर जाते हैं संसाधनों का जिक्र है और सरकारी तैयारियों का भी जिक्र किया गया है । मगर उसमें फोटो लगा है सीहोर के बस स्‍टैंड का कि यहां पर बरसात में कीचड़ हो जाता है । समझ में नहीं आता कि समाचार पत्रों के लोग क्‍या पाठक को मूर्ख समझ कर काम कर रहे हैं । बाढ़ के समाचार में सीहोर का बस स्‍टैंड क्‍यों लगा है जहां पर नदी तो छोड़ो किसी नाले या नाली का पानी भी नहीं आता । पुलिस द्वारा अतिक्रमण हटाये जाने का समाचार भी यहीं लगा है । अंदर के पृष्‍ठों में  रातों रात झोंपड़े बन जाने, बोवनी के शुरू होने और पिछले साल के पौधरोपण में तीस प्रतिशत पौधे बचने  के समाचार इछावर से लगे हैं जो कि रोचक हैं ।

पत्रिका :- रेटिंग *

पत्रिका  ने आज एक समाज द्वारा चल रहे आयोजनों में हो रही प्रतियोगिता में बन रहे बेसन और आटे के गहनों को लीड लगाया है ......( नो कमेंट) । अब आप ही तय करें कि जिले को तोड़े जाने की संभावना के रोचक समाचार ( नवदुनिया) और बाढ़ का खतरा जैसे सूचनाप्रद समाचा( भास्‍कर) के सामने बेसन और आटे के गहनों का समाचार ( पत्रिका) भला कौन पढ़ना चाहेगा । मगर पत्रिका के बारे में एक बात ही कही जा सकती है कि गलतियों से सबक लेने की आदत शायद यहां के लोगों में नहीं है । पत्रिका के बारे में एक और बात जो प्रारंभ से देखने में आ रही है वो ये कि इसके समाचार सरकारी कार्यालयों के आसपास ही घूमते हैं । बिना प्राचार्यों के शिक्षण सत्र शुरू होने का एक समाचार सैकेंड लीड है जो कि हेडिंग से रोचक तो लगता है पर पढ़ने पर केवल आंकड़े ही आंकडें हैं । कहीं कोई समाचार नहीं है कितने स्‍कूल कितनों में नहीं प्राचार्य जैसे आंकड़े फाइलों के लिये तो अच्‍छे होते हैं लेकिन पाठक तो कुछ और ही चाहता है । अंदर के पृष्‍ठों में एक समाचार इछावर से रोचक लगा है ये भी हालंकि है तो सरकारी विभाग का ही समाचार आठ पटवारियों पर दो दो हल्‍कों का वजन समाचार में इछावर के संवाददाता ने बता दिया है कि सरकारी विभागों के समाचारों को भी किस प्रकार पठनीय बनाया जा सकता है । आंकड़ों को अलग एक टेबल बना कर लगा दिया है और समाचार में आंकडे कहीं नहीं आते हैं समाचार समाचार की तरह ही चलता है । सीहोर के जिला कार्यालय के रिपोर्टर शैलेष तिवारी का भी एक ऐसा ही समाचार बिना प्राचार्यों के स्‍कूल में आंकड़े ही आंकड़े हैं समचार है ही नहीं । जबकि इछावर के समाचार में समाचार अलग है आंकडे अलग हैं ।

खैर जैसा कि पत्रिका के शुरू होने के बाद ही पाठक कह रहा है कि पेपर की छपाई अच्‍छी है डिजाइनिंग अच्‍छी है पर समाचार कहां हैं । पाठक को तो समाचार चाहिये । उसी तरह के समाचार जैसे भोपाल से आ रहे पत्रिका के पृष्‍ठों पर हैं ।  पहले भी इस स्‍तम्‍भ में कहा जा चुका है कि नवदुनिया भोपाल से आ रहे पृष्‍ठों की कमजोरी के कारण कमजोर हो रहा है जबकि उसके सीहोर के पृष्‍ठ बहुत मजबूत हैं । जबकि पत्रिका के मामले में उल्‍टा है इसके भोपाल से आ रहे पृष्‍ठ बहुत मजबूत हैं पर सीहोर के पृष्‍ठ तो अभी राज एकस्‍प्रेस जैसे समाचार पत्रों से भी कहीं पीछे और कमजोर है नवदुनिया और भास्‍कर से टक्‍कर की बात तो अभी सोची भी नहीं जा सकती । आज एक श्रेष्‍ठ समाचार पत्र यदि बनाना हो तो भोपाल से आ रहे पत्रिका के 1,2,3,4,5,6,11,12,13,14,15,16 पेजों में सीहोर की नवदुनिया के 9,10,11 और 16 नंबर के पेज लगा दिये जाएं।

पत्रकारिता क्‍या सचमुच ही सूचनाओं को इधर से उधर पहुंचाने का ही नाम है

आजकल पत्रकारिता को सूचनाप्रद पत्रकारिता बना दिया गया है । जैसे मुख्‍यमंत्री आए, कलेक्‍टर ने ऐसा कहा, अमुक पार्टी ने धरना दिया, फलाने नेता ने ऐसा का । मतलब कि कुलमिलाकर बात वही है कि सूचनाएं ही सूचनाएं हैं । पाठकों का समामान्‍य ज्ञान बढ़ाए रखने की पूरी कोशिश की जा रही है । कोई ये बताने की कोशिश नहीं करता कि अगर अमुक ने ऐसा कहा तो क्‍यों कहा उसके पीछे का कारण्‍ क्‍या है । कुछ सालों पहले तक जिला स्‍तर से हर सप्‍ताह एक स्‍तंभ प्रकाशित होता था जो जिले की चिट्ठी जैसा कुछ होता था । इसमें जिले का संवाददाता खबरों के पीछे की खबरें निकालने का प्रयास करता था । ये स्‍तंभ आज किसी भी समाचार पत्र में देखने को नहीं मिलता । समाचार पत्र के प्रधान कार्यालयों के संपादकों के इशारे पर ये स्‍तंभ सारे पेपरों ने बंद करवा दिये । हैरत की बात ये है कि ये स्‍तंभ प्रधान कार्यालय में बैठे संपादक स्‍वयं तो लिख रहे हैं पर दूसरों के लिये मनाही है । खबरों के पीछे की खबरे अब कोई नहीं बताता अब तो केवल सूचनाएं हैं केवल सूचनाएं । पाठक सूचनाओं को ही समाचार मान लेता है उसके लिये विज्ञप्तियां ही खबरें हैं । विश्‍लेषण करने वाले समाचारों को पाठक आज भी रुचि के साथ पढ़ता है क्‍योंकि वो जानना चाहता है कि  यही होता है तो फिर ऐसा ही होता क्‍यूं है ।

आज मुख्‍यमंत्री की जावर यात्रा और जावर को तहसील का दर्जा देने को सभी समाचार पत्रों ने प्रमुखता से छापा है ।

भास्‍कर  ने आज जावर में मुख्‍यमंत्री द्वारा जावर को तहसील का दर्जा देने की घोषणा को लीड बनाया है । और उसी के अंदर बाक्‍स लगाया है कांग्रेस के धरने को । इछावर के रिपोर्टर मोहम्‍म्‍द परवेज के समाचार पंचायते करेंगी पानी की जांच आज की प्रथम लीड है रोचक समाचार है तो सही किन्‍तु लीड बन जाए ऐसा भी नहीं है । सेवाकालीन शिक्षक प्रशिक्षण शिविर में 236 शिक्षकों के गायब रहने का समाचार आज लगा है ।

पत्रिका    के बारे में लिख लिख कर अब तो ऐसा लगने लगा है कि मानो अब थक गए हैं । यहां भी जावर तहसील घोषित समाचार लगा है । शिक्षक शिक्षिकाओं को प्रशिक्षण में नहीं आने पर नोटिस मिलने का समाचार यहां पर भी लगा है और साथ में कांग्रेस का धरना भी लगा है । आज पत्रिका पर कोई कमेंट नहीं ( कोई कब तक एक ही बात कहे)।

राज एक्‍सप्रेस  ने भी जावर को तहसील बनाने का समाचार प्रमुखता से छापा है । वहीं नगरीय प्रशासन आयुक्‍त से नगरपालिका के एक करोड़ के घोटाले की जांच कराने की मंत्री रुस्‍तम सिंह के आदेश का एक समाचार आज सेकैंड लीड है ये समाचार बाकी के समाचार पत्र नहीं उठा पाए हैं । कांग्रेस का धरना यहां पर भी है और साथ में एक समाचार विवाह बंद होने में चार दिन शेष होने का लगा है शायद समाचार लिखने वाले को ये जानकारी नहीं है कि इस वर्ष शुक्रास्‍त होने के कारण मई के प्रारंभ में ही विवाह बंद हो गए‍ थे । ये ही वो समाचार होते हैं जो कि पत्रकार के सामान्‍य ज्ञान को दर्शा देते हैं ।

नव दुनिया ने भी जावर को तहसील बनाने का समाचार लगाया है और साथ में ढाबों पर हो रही मयकशी को लेकर भी एक समाचार सैकेंड लीड है । समाचार में लगा हुआ शराब की बोतल का बड़ा सा चित्र अत्‍यंत भद्दा लग रहा है और नईदुनिया इंदौर के मानदंडों की अगर बात करें तो ये चित्र यहां नहीं होना चाहिये था । समाचार अच्‍छा है किन्‍तु बात वही है क‍ि अगर आप कह रहे हैं कि ढाबों में जाम टकरा रहे हैं तो उनका चित्र लगा कर प्रमाण तो दीजिये शराब की बोतल का लम्‍बा सा चित्र लगाकर क्‍या कहना चाह रहे हैं । बोवनी का समाचार भी आज फोटो के साथ लगा है ।

कुल मिलाकर आज के सारे समाचार पत्रों में एक ही बात है जावर को तहसील बना दिया गया । अब आईयेबात करें इसकी कि समाचार पत्रों ने क्‍या गलत किया है सबने छापा है कि जावर तहसील बना । जबकि तहसील बनने की केवल घोषणा की है मुख्‍यमंत्री ने बनने में तो अभी लम्‍बा समय लगना है ।

जिला स्‍तर की पत्रकारिता और पत्रकार कलेक्‍टर के खास बन जाने और बने रहने तक सीमित हो गई है

पहले ऐसा होता नहीं था लेकिन अब तो ऐसा  ही हो रहा है कि जिले स्‍तर की पत्रकारिता का मतलब अब हो गया है जिला कलेक्‍टर की गुड लिस्‍ट में स्‍‍थान पाना और उस लिस्‍ट में बने रहने का भरसक प्रयास करना । दरअसल में कलेक्‍टर पद अंग्रेजों के जमाने से ही सबसे शक्तिसंपन्‍न पद है जिले का मालिक वही होता है । और ऐसे में जाहिर सी बात है कि उसके आस पास रहना मतलब शक्ति के केन्‍द्र के आस पास रहना । पत्रकारिता एक ऐसी शै: है जिससे अंग्रेजों को भी खतरा था और अंग्रेजों की पद्धति पर ही काम करने वाले कलेक्‍टरों को भी रहता है । असल में तो सच्‍चाई को ना तो अंग्रेज सुनते थे और ना ही कलेक्‍टर सुनना पसंद करते हैं । कलेक्‍टर एक ऐसा पद है जो कि हमें याद दिलाता है कि हिटलरशाही का मतलब क्‍या होता है । पत्रकारिता का काम होता है मदमस्‍त गजराज के माथे पर एक छोटे से अंकुश के रूप में कार्य करना । मगर जैसा अंग्रेज करते थे वैसा ही करते हैं कलेक्‍टर भी पत्रकारिता को पंगू बना दो । और उस पर आज की पत्रकारिता जिसमें किसी भी नामालूम से समाचार पत्र की 10 कापियां बांटने वाला व्‍यक्ति पत्रकार हो जाता है उसमें तो ये और भी आसान काम है । अंग्रेज जानते थे कि विद्रोह की शुरूआत हमेशा ही कलम करती है और इसीलिये वे सबसे पहले कलम को मीत बना लेते थे । यद्यपि उस दौर में जो कि दादा माखनलाल जी और विद्यार्थी जी जैसे पत्रकारों का दौर था उसमें अंग्रेजों को बिकाऊ माल कम मिल पाता था मगर आज तो खूब है । राजस्‍व विभाग का ये मुखिया जिसे कि वास्‍तव में राजस्‍व एकत्र करने के कारण कलेक्‍टर कहा गया वो आज डीएम बन कर कितना शक्तिशाली हो गया है उसका हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते । और फिर आज का दौर जहां पर जिला स्‍तर की पत्रकारिता येन केन प्रकरेण कलेक्‍टर के आस पास रहना चाहती है उस दौर में जनता के हित की बात कौन उठाएगा । खैर ये बात तो बात मे निकल आई अब चलिये आज की समीक्षा पर ।

दैनिक भास्‍कर को समझ में आने लगा है कि अब हम एकाधिकार वाली हालत में हैं और अब अब तो  अब हवाएं ही करेंगी रोशनी का फैसला जिस दिये में जान होगी वो दिया रह जाएगा  वाली बात हो गई है । आज सीहोर का पेज मेहनत करके बनाया गया है और आज की विशेष्‍ता ये है कि आज भास्‍कर ने दो फोटो अच्‍छे लगाए हैं । आज का लीड बोवनी में बीज का टोटा एक अच्‍छा समाचार है जो कि समय पर लगा है । और उसीमें एक हल जोतते हुए किसान का अच्‍छा फोटो लगा है । कुल मिलाकर समाचार अच्‍छा बन पड़ा है । वहीं सैकेंड लीड में स्‍कैटिंग रैली का समाचार है जिसमें बच्‍चों को जल संरक्ष के लिये स्‍कैटिंग करते दिखाया है इस समाचार में एक बेहतरीन फोटो लगाया जा सकता था मगर नहीं लग पाया । कलेक्‍टर के स्‍थानांतरण और दो लीटर कैरोसिन के लिये घंटों इंतजार का समाचार भी लगा है ।  कुल मिलाकर आज भास्‍कर ने अपने को सुधारने के संकेत दिये हैं । मगर अभी बहुत लम्‍बा सफर बाकी है ।

नवदुनिया में आज मुख्‍यमंत्री के जावर आने का समाचार लीड है । जिसमें जावर को तहसील बनाने के संकेत दिये गए हैं । किताबें खोल देंगीं पोल  एक रोचक समाचार है जिसमें बच्‍चों को बंटने वाली पुस्‍तकें यदि कबाड़ में बेची जाती हैं तो पकड़ में आ जाऐंगी एक रोचक जानकारी है । बरसते पानी में ट्रेन का इंतजार करने का रेवले स्‍टेशन की समस्‍या का अच्‍छा समाचार है तो सही पर उसमें जो फोटो लगा है वो समाचार की कहानी को पूरा नहीं कर पा रहा है अच्‍छा होता के खाली प्‍लेटफार्म की जगह पे पानी में भीगते यात्रियों का फोटो लगाया जाता । पटवारी के चयन का एक समाचार भी सही समय पर सही तरीके से लग गया है । कलेक्‍टर के स्‍थानांतरण को लेकर एक सचित्र समाचार कड़वे और मीठे पहलुओं को समेटते हुए लगा है जो कि आज के दिन की मांग था । कुल मिलाकर नवदुनिया ने आज अपने टैम्‍पो का बरकरार रखा है ।

पत्रिका  में उसकी लांचिंग के बाद आज पहली बार कोई समाचार ठीक लगा है रिपोर्टर संजय धीमान की रिपोर्ट जिसमें बिजली कर्मचारियों द्वारा जान पर खेल कर काम किये जाने और खस्‍ताहाल सुविधाओं की बात है आज लीड है । और ये समाचार आंकड़ों के हिसाब से भी समृद्ध है । फोटो लेकिन अपने ही समाचार का समर्थन करता नज़र नहीं आता । मौत के साये में जी रहे लाइनमेन  पहले तो ये हेडिंग ही गलत है होना था मौत के साये में काम कर रहे लाइनमेन  और फिर फोटो में एक खुली डीपी का फोटो लगा है उससे लाइनमेन को खतरा नहीं है उससे तो आम जनता को खतरा है । होना ये था कि काम करते हुए किसी लाइनमेन का ।फोटो लगना था । फोटो और हेडिंग को छोड़ दें तो रिपोर्टर संजय धीमान ने अच्‍छी मेहनत की है । नीचे एक समाचार में पुन: गड़बड़ है हेडिंग लगा है शुजालपुर के समाचार मुआवजे का और फोटो लगा है बैंक आफ इंडिया में प्रमाणपत्र वितरण का, लगता है पत्रिका में ग़लतियों पर निगरानी रखने वाला कोई व्‍यक्ति नहीं रखा गया है । पत्रिका ने आज एक बड़ी चूक फिर की है और वो है सीहोर कलेक्‍टर के स्‍थानांतरण  का उल्‍लेख सीहोर पेज पर नहीं होना । नवदुनिया ने जिस तरह का समाचार लगाया है वो पाठकों की पसंद होती है । हर पाठक सुबह जागते ही अपने पेज पर चाहता है कि जाने वाले कलेक्‍टर के कार्यकाल की समीक्षा पढ़े और आने वाले के बारे में जानकारी देखे ये दोनों ही काम पत्रिका नहीं कर पाया है । ये बड़ी चूकें पत्रिका अपने शुरू होने के बाद से ही कर रहा है और ये ही ग़लतियां उसे लक्ष्‍य से दिन ब दिन दूर करती जा रहीं हैं । लगता है पत्रिका का स्‍टाफ टेबुल न्‍यूज बनाने और लगाने में ज्‍यादा विश्‍वास रखता है ।

खैर आज फिर भास्‍कर और नवदुनिया कांटे की टक्‍कर में हैं और ये नहीं कहा जा सकता कि कौन 20 है और कौन 19 है । पत्रिका के बारे में कहा जा सकता है कि उसका सीहोर का पेज दिन ब दिन हो रही गलतियों के कारण दोड़ में नहीं आ पा रहा है ।

वो एक व्‍यक्ति जो कि संपादक कहलाता था उसे प्रबंधक में बदल दिया गया है ऐसे में उम्‍मीद न रखें समाचारों की

संपादक एक एसा व्‍यक्ति जो कि अपने समाचार पत्र या पत्रिका की धुरी होता था । मालिक भी उसके सामने बौना होता था । समाचारों के चयन में मालिक से ज्‍यादा चलती थी संपादक की । मालिक को भी अनुरोध करना होता था संपादक से किसी समाचार को लेकर । संपादक का अर्थ होता था अपनी ही धुन में रमा रहने वाला एक आदमी जो कि कब उखड़ पड़े मालूम नहीं । जब मौज में आकर कोई अग्रलेख लिख दे तो ऐसा कि दिन भर चर्चाओं में वो लेख बना रहे । इन्‍हीं संपादकों में से निकलते थे संपादकाचार्य ( एक विलुप्‍त प्रजाति ) । किन्‍तु आज संपादक कहीं नहीं है आज हर जगह पर प्रबंधक हैं जिनसे कहा जा रहा है कि आप प्रबंधन करो कलम वलम से हाथ लगाने की कोई ज़रूरत नहीं है । अपनी इस नई भूमिका में ये संपादक भी प्रसन्‍न हैं । मध्‍य प्रदेश में पांच छ: साल पहले प्रारंभ हुए एक समाचार पत्र ने कलम का जितना नुकसान किया है वो किसी ने नहीं किया । अब कहीं कोई संपादक के अग्रलेख नहीं होते और अगर होते भी हैं तो वे उस तरह के तेवर लिये हुए नहीं होते जैसे लोग चाह रहे हैं । मेर गुरू वरिष्‍ठ आलोचक श्रद्धेय डॉ विजय बहादुर सिंह कहते हैं कि राजनीति में कोई सत्‍ता पक्ष या विपक्ष नहीं होता है जो भी राजनीति में है वो वास्‍तव में सत्‍ता पक्ष ही है, क्‍योंकि वो उसी का हिस्‍सा है । ऐसे में जो भी जनता के पक्ष में होगा वो ही होगा विपक्ष जो जनता की बात करेगा वो ही होगा विपक्ष और जनता की बात करती है कलम जनता की बात करते हैं शब्‍द अत: वास्‍तव में कलम ही हर दौर में विपक्ष में होती है । डॉ विजय बहादुर सिंह की बात के अनुसार तो देश भर में फैले हजारों पत्रकार वास्‍तव में विपक्ष हैं । और इसी विपक्ष की धार को कुंद करने का काम कर रहे हैं मालिक, मालिक जो कि सत्‍ता पक्ष का ही हिस्‍सा हैं । खैर हर अंधेरी रात के बाद सुबह होती है और दुनिया इसी उम्‍मीद में जीती है ।

दैनिक भास्‍कर  को जितना भय नए समाचार पत्रों से है उतना किसी दूसरे को नहीं है तभी तो ये भी खरबूजे को देख कर रंग बदल रहा है । भास्‍कर में भी वही तरीका अपनाया जा रहा है जोकि दूसरे कर रहे हैं । मगर भास्‍कर को फिर भी एक शेर हमेशा जेहन में रखना चाहिये जिन में हो जाते हैं अंदाज़े ख़ुदाई पैदा हमने देखा है वो बुत तोड़ दिये जाते हैं । आज भास्‍कर ने बस हड़ताल का समाचार लीड किया है तो वहीं पैसे मांग रहे पटवारी को निलम्‍बित करने का समाचार सेकैंड लीड है मगर ये समाचार रेहटी का है । रिपोर्टर बलजीत ठाकुर ने शिक्षा विभाग का रोचक समाचार निकाला है कि अब छात्राओं को दो सौ रुपये की यूनीफार्म मिलेगी और साथ में चप्‍पलें भी दी जाएंगीं । सड़कों पर हो रहे कीचड़ का समाचार आज नीचे लगा है । कुल मिलाकर आज का भास्‍कर पठनीय है ।

नवदुनिया की अगर बात करें तो यहां भी बसों की हड़ताल लीड है मगर आज छपाई की त्रुटी के कारण फोटो खराब हो गए हैं । नवदुनिया ने एक काम जो अच्‍छा किया है वो ये कि एक दो दिन छोड़कर मौसम का समाचार दिया जा रहा है । ये वो समाचार है जिसे लगाना समाचारपत्रों ने छोड़ दिया है । आज भी मौसम वैज्ञानिक के हवाले से अच्‍छा समाचार लगा है । पेयजल संकट को लेकर भी एक समाचार लगा है । एक और बात जो नवदुनिया ने  की है वो है फालोअप । आजकल समाचारपत्र समाचार तो लगा देते हैं पर दूसरे दिन जब पाठक ये जानने के लिये पेपर देखता है कि कल के बाद आज क्‍या है तो कुछ नहीं मिलता । आज नवदुनिया ने कल के हत्‍याकांड का फालोअप लगाया है । वहीं शहर के खेल मैदानों की दुर्दशा और एक खेल मैदान पर होस्‍टल बनने का समाचार भी लगा है ।

पत्रिका  ने आज देर से जागते हुए पेट्रोल पम्‍पों से सादा पैट्रोल डीजल गायब होने का समाचार लीड किया है जिसको कि दूसरे समाचार पत्र पूर्व में लगा चुके हैं । समाचार की एक कमजोरी ये है कि इसमें समाचार कम है  और पैट्रोल पम्‍प के मालिकों के बयान ज्‍यादा हैं । इसके अलावा एक समाचार खरीफ फसलों का रकबा बढ़ने का भी लगा है । पत्रिका ने अब ये मान लिया है कि उसको दूसरे स्‍थान के लिये ही संघर्ष करना है पहले स्‍थान के लिये उसका दावा उसने खुद ही कमजोर कर लिया है । कोई भी समचार पत्र जब लांच होता है तो उसको नशा बेचने वालों की तर्ज पर काम करना होता है । जिस प्रकार नशा बेचने वाले पहले किसी व्‍यक्ति को मुफ्त में नशा देते हैं ताकि उसको लत लग जाए और बाद में वो ही पैसे से खरीद कर नशा करे । समाचारपत्र जब लांच होता है तब वो भी मुफ्त में बांटा जाता है ताकि लोगों को उसकी आदत हो जाए और बाद में वो ही लोग उसको खरीद कर भी पढ़ें । मगर पत्रिका ये भूल रही है कि आदत डालने के लिये आपके उत्‍पाद में जान होना चाहिये लत तभी लगती है जब स्‍वाद आता है आनंद आता है रस आता है । नीरस चीजों की लत नहीं लगती ये प्रकृति का सिद्धांत है । पत्रिका मुफ्त में बंट रही है तो उसमें रस होना ही चाहिये नहीं तो कुछ नहीं होने का ।

राज एक्‍सप्रेस  के बारे में ये तो कहना होगा कि भले ही महासंग्राम को देखकर भास्‍कर ने अपने हथियारों पर धार नहीं की है पर राज ने तो की है और उसमें एक परिवर्तन दिख रहा है । लेकिन राज के साथ समस्‍या ये है कि वहां पर समाचारों को लेकर कहा जाता है कि कोई जरूरत नहीं है समाचारों को लाने की जितनी देर में आप एक समाचार को तैयार करेंगें उतने में आप चार विज्ञापन ला सकते हैं । दरअसल में पत्रकारों को विज्ञापन लाने की जिम्‍मेदारी देकर समाचार पत्रों ने कलम को बंधक बना दिया है । फिर भी आज का राज सबसे पठनीय है बसों की हड़ताल लीड है तो पुराने गोली कांड को लेकर रोचक समाचार लगा है कि जो कट्टा पुलिस ने उस गोली कांड में जब्‍त किया था उससे गोली नहीं चली थी । पुलिस द्वारा 70 हजार का एल्‍युमीनियम तार एक कार से बरामद होने का एक समाचार भी लगा है । वहीं नगर पालिका में एक करोड़ के घोटाले का समाचार भी लगा है जो कि पार्षद द्वारा  लोकायुक्‍त को दिये गए शपथ पत्र को आधार मान कर लगा है ।

कुलमिलाकर आज के समाचार पत्रों में राजएक्‍सप्रेस  का पेज सबसे पठनीय है । पत्रिका चारों समाचार पत्रों में अभी भी सबसे पीछे खड़ी है और उसे शायद अपनी स्थिति से संतोष भी हो गया है । भास्‍कर, नवदुनिया और अब राज एक्‍सप्रेस ये तीनों समाचारों के मामले में कांटे की टक्‍कर में हैं पत्रिका मैदान से बाहर बैठकर देख रही है ।

फोटो पत्रकारिता का स्‍वर्णिम युग क्‍या बीते ज़माने की बात हो गया है ।

एक ज़माना था जब फोटो को लेकर भी समाचार पत्रों में विश्‍ोष रूप से लोगों को नियुक्‍त किया जाता था और फोटो को लेकर एक विशेष प्रभाग होता था । फोटो का चयन करना और उसके नीचे की पंक्तियां लिखना फोटो का शीर्षक लगाना ये भी एक कला हुआ करती थी । दरअसल में फोटो अपने आप में ही पूरा समाचार होता है जो शब्‍दों के बिना ही मूक भाषा में अपनी बात कह जाता है । फोटो को लेकर अब कोई समाचार गंभीर है ऐसा लगता नहीं है । किन्‍तु कुछ दिनों से नवदुनिया और पत्रिका ने फोटो पत्रकारिता के स्‍वर्णिम युग की याद दिला दी है । दरअलस में ये दोनों ही समाचार पत्र तस्‍वीरों का इतनी खूबी के साथ उपयोग कर रहे हैं कि आनंद ही आ जाता है । तस्‍वीरें अपनी ही एक ज़ुबान रखती हैं जो कि शब्‍दों की मोहताज नहीं होती है । कहते हैं कि पृथ्‍वी गोल है इसलिये घूम फिर कर सब कुछ वापस आता है । हो सकता है शब्‍द की शक्ति के सुनहरे दिनों की वापसी के साथ छायाचित्रों की भी वापसी हो । आज की बात इसलिये क्‍योंकि परीक्षा परिणाम आने पर समाचार पत्रों के संपादक छायाचित्रों को लेकर बहुत मेहनत करते थे कि कैसे करके आज एक छायाचित्र ऐसा लगे जो कि बस आनंद आ गया कहलवा दे । और आज ये हालत है कि पत्रिका, नवदुनिया और भास्‍कर तीनों के मुखपृष्‍ठ पर लगे फोटो समान हैं बल्कि वे बच्‍चे भी वही हैं । इसका ही अर्थ है कि अब समाचार पत्रों में छायाचित्रों को लेकर कितनी संवेदनशीलता रही है । कोई भी छायाचित्र ऐसा नहीं है जिसको देखकर आनंद आ जाए ।

बात सीहोर की भास्‍कर  आज बड़ी चूक कर गया है ऐसा तो नहीं कहा जा सकता है क्‍योंकि घटना ऐसी नहीं है जो चूक कही जाए पूरे शहर को जो घटना मालूम थी वो भास्‍कर को नहीं मालूम थी ऐसा नहीं माना जा सकता है । मगर हुआ यही है नजदीकी गांव कचनारिया में गोली चलने और एक की मौत होने साथ ही कई घायल होने का समाचार भास्‍कर में नहीं लगा है हैरत की बात है कि जिस समाचार को सभी ने लीड बनाया है उसको भस्‍कर ने लगाना भी उचित नहीं समझा है । और उसके पीछे भी कारण है भास्‍कर की विज्ञापन की मानसिकता । भस्‍कर में आज विज्ञापन ही विज्ञापना लगे हैं और इन विज्ञपनों के चक्‍कर में ही भास्‍कर भूल गया कि कल के अंक में पाठक को समाचार भी देना हैं । आज भास्‍कर ने दसवीं के परिणामों पर समाचार लीड लगाया है शेष विज्ञापन हैं । एक पाठक की ये टिप्‍पणी बहुत सामयिक है अगले महीने से हॉकर से कह दूंगा क‍ि भास्‍कर की जगह नवदुनिया या पत्रिका डाल दे ।  पाठक को मूर्ख बनाने का गणित अब नहीं चलने का ।

पत्रिका  ने आज एक ऐसी मूर्खता की है जिसे पत्रकारिता की दृष्टि से भी और पाठकों के नजरिये से भी क्षम्‍य नहीं किया जा सकता है । पहला तो ये कि दसवीं के परिणाम को लेकर कोई मेहनत नहीं की है जहां भास्‍कर, नवदुनिया  ने जिले में अव्‍वल आने वाले विद्यार्थियों के फोटो लगाए हैं और उनका परिचय दिया है वहीं पत्रिका  ने केवल एक औपचारिक सा समाचार लगा कर कर्तव्‍य की इतिश्री कर ली है । अब बात मूर्खता की, जहां दूसरे समाचार  पत्रों ने बाकायदा सफल होने पर प्रसन्‍न हो रहे विद्यार्थियों के चित्र लगाए हैं मेरिट में आने वालों के पासपोर्ट फोटो लगाए हैं वहीं पत्रिका ने कलेक्‍टर का फोटो लगाया है अब इस मानसिक दीवालियेपन की उम्‍मीद राजस्‍थान के नंबर वन पेपर से तो नहीं की जा सकती । उन बच्‍चों का हक बनता है जिन्‍होंने मेहनत करके मेरिट में स्‍थान बनाया है कि कल लोग उनको जाने, कलेक्‍टर का फोटो छापने के लिये तो और भी मौके होते हैं । जहां दूसरे पेपरों ने मेहनत करके ना केवल जिले की प्रावीण्‍य सूची बल्कि विद्यार्थियों के फोटो और परिचय भी छाप दिया है वहीं पत्रिका केवल शासकीय विज्ञप्ति को लगाकर अपने कर्तव्‍य को पूरा कर गया है और करेला नीम चढ़ा की स्थिति बनी है शासकीय विज्ञप्ति में कलेक्‍टर का फोटो लगाने से । पत्रिका जोर शोर से ये नगाड़ा पीटते हुए आई है कि वो चाटुकारिता वाली पत्रकारिता को खत्‍म कर जनता की बात करेगी, मगर ये क्‍या है । इस पत्रकारिता की उम्‍मीद पत्रिका से पाठकों को नहीं है ।

 नवदुनिया  ने फोटो के मामले में और दसवीं के समाचारों के मामले में बाजी फिर मारी है । जीतेंगें हम बाजी हर .....  शीर्षक से एक ऐसा समाचार लगा है जो परिणाम आने के दूसरे दिन हर पाठक पढ़ना चाहता है । उस पर रिजल्‍ट देखते उत्‍सुक विद्यार्थियों और जश्‍न मनाते सफल विद्यार्थियों का अच्‍छा चित्र लगा है । साथ ही मेरिट में आए बच्‍चों के पासपोर्ट फोटो भी लगे हैं जिससे पता चलता है कि समाचार में मेहनत की गई है । युवक की हत्‍या के बाद तनाव का समाचार यहां पर लीड लगा है ।

 राज एक्‍सप्रेस  की अगर बात की जाए तो यहां पर आज जमीन विवाद का समाचार लीड है और दसवीं के परिणाम नीचे लगे हैं । दोनों ही समाचार जो आज के मुख्‍य समाचार हैं उनको पत्र ने ठीक तरीके से लगाया है हां जितनी मेहनत क्राइम के समाचार पर की गई है उतनी मेहनत दसवीं के बच्‍चों के समाचार नहीं की गई है । ये आज के समाचार पत्रों की दशा और दिशा को बताता है ।

कुल मिलाकर आज का दिन मिला जुला रहा है भास्‍कर ने जहां दसवीं के परिणाम को ठीक तरीके से उठा लिया तो वो जमीन विवाद में पिट गया । पत्रिका ने जमीन विवाद को लगा लिया तो दसवीं के परिणाम में वो बुरी तरह से पिटा । नव दुनिया और राज एक्‍सप्रेस दोनों ही दोनो समाचारों में सफल रहे हैं ।

पत्रिका समाचार पत्र का मुखपृष्‍ठ दूसरों से बाजी मारता तो दिखता है लेकिन स्‍थानीय पृष्‍ठ पर आकर बात टांय टांय फिस्‍स हो जाती है ।

समाचार पत्रों के लिये ये एक ऐसा समय है जब कि  गलाकाट प्रतिस्‍पर्धा के चलते पाठकों के लिये हर तरह का ललचाऊ प्रलोभन दिया जा रहा है । दरअसल में एकाधिकार एक ऐसा शब्‍द है जिसको तोड़ने के लिये समय समय पर प्रयास होते हैं और एकाधिकार भले ही किसी भी क्षेत्र का हो वो लोगों को भाता नहीं है । लेकिन एकाधिकार को तोड़ने के लिये आवश्‍यक है कि एकाधिकार करने वाले से भी जोरदार प्रयास हो । अब जैसे भोपाल या यूं कहें कि मध्‍यप्रदेश में एकाधिकार दैनिक भास्‍कर का है और उस पर तुर्रा ये कि भास्‍कर ने अपना प्रदेश छोड़कर उन प्रदेशों में भी हाथ मारा जहां कोई और छत्रप था । बस फिर क्‍या था बात की बात में दूसरे छत्रप मध्‍य प्रदेश में लड़ाइ लड़ने आ गए । कहा जाता है कि प्रतिस्‍पर्धा का लाभ ही होता है प्रतिस्‍पर्धा हमेशा ही गुणवत्‍ता बढ़ाने का काम करती है । और ऐसा ही कुछ हुआ है समाचार पत्रों की इस प्रतिस्‍पर्धा के चलते भी । पाठकों को बेहतर समाचार मिल रहे हैं और साथ ही बेहतर गुणवत्‍ता का समाचार पत्र भी । अब जैसे पत्रिका को ही कहें तो पत्रिका के आने के बाद भास्‍कर को भी अपनी रणनीति को पुन: बनाना पड़ा क्‍योंकि पत्रिका ने वो सब कुछ किया जो कि पाठकों को चाहिये । भास्‍कर का जब तक एकाधिकार था तब तक उसने पाठाकों के बारे में कभी भी नहीं सोचा कि पाठक को भी कुछ चाहिये उसने तो केवल विज्ञापनों के बारे में ही सोचा हालत ये हो गई थी कि पूरे पूरे पेज के विज्ञापनों के अलावा भास्‍कर में कुछ भी नहीं होता था । पर अब हालात बदल रहे हैं । आज पत्रिका में मुखपृष्‍ठ पर लगे भुवनेश जैन  के लेख ने भास्‍कर के उस दौर की याद ताजा कर दी जब प्रदेश के श्रेष्‍ठ संपादक श्री महेश श्रीवास्‍तव के अग्रलेख दिन में कई कई बार पढ़े जाते थे । किन्‍तु बाद में ना काहू से दोस्‍ती नो काहू से बैर की तर्ज पर भास्‍कर ने ये सब बंद कर दिया और जनता की आवाज उठाने वाला कोई भी नहीं रहा । अब लगता है पाठकों के पुराने दिन वापस आ रहे हैं ।

लगता है कि इन दिनों समचारों को लेकर कुछ टोटा चल रहा है तभी तो आज भास्‍कर  में एक भी समाचार नहीं है । खेलकूद प्रशिक्षण का समापन,  को लीड स्‍टोरी बना कर कुछ प्रेस विज्ञप्तियों से पेज बना दिया गया है जिसमें पठनीय कुछ भी नहीं है । दरअसल में भास्‍कर की ये ही तो वो कमी है जिसपर पत्रिका वार करना चाह रही है । भास्‍कर ने  अपने पत्रकारों को पत्रकार से ज्‍यादा कर्मचारी बना कर रखा है । और उस पर भी जनहित का कोई समाचार जिसमें किसी के विरुद्ध कुछ हो उसे स्‍थान नहीं मिलता है । ये सब बातें ही तो पत्रिका को देखनी हैं ।

पत्रिका  की अगर बात करें तो ये तो तय है कि स्‍थानीय पृष्‍ठ को छोड़कर बाकी का पूरा पत्रिका पठनीय आ रहा है जैसे आज ही भुवनेश जैन का आलेख पठनीय है । सीहोर पृष्‍ठ पर आज बरसात होने की लीड स्‍टोरी है । खली के भतीजे का समाचार आज पत्रिका ने लगाया है जो कि कल के समाचार पत्रों में भास्‍कर और नवदुनिया पहले ही लगा चुके हैं । बस यही मात खा रही है पत्रिका एक दिन छोड़कर समाचार लगाना या दूसरे पत्रों के समाचार लगाना ये ही वो बात है जो कि पाठक पसंद नहीं करते । रिपोर्टर सूर्यमणी शुक्‍ला ने आज फिर किसी गांव की कहानी को दिया है । ऐसे समय में जब कि पत्रिका सीहोर में जमने के प्रयास में लगी है उस समय ग्रामों की कहानियां सीहोर पृष्‍ठ पर लगाना  पत्रिका के लिये घातक सिद्ध हो सकता है । सीहोर के संस्‍करण पर पाठक सीहोर की ही खबरें चाहता है कोई बड़ी घटना हो गई हो तो और बात है ।

नवदुनिया  की अगर बात करें तो इसके मामले में उल्‍टा हो रहा है । इसका सीहोर पृष्‍ठ पठनीय आ रहा है मगर बाकी के पृष्‍ठ जो भोपाल से आ रहे हैं उनमें कुछ भी नहीं होता । अगर पत्रिका के भोपाल से आ रहे पृष्‍ठों में सीहोर के नव दुनिया के चार पेज लगा दिये जाएं तो एक ऐसा समाचार पत्र बनेगा जिसको भास्‍कर छू भी नहीं पाएगा मगर बात वही है कि पत्रिका का ये अच्‍छा है तो नवदुनिया का वो । आज नवदुनिया ने परिसीमन में स्‍थानांतरित हुए मतदाताओं का समचार प्रकाशित किया है ये मुख्‍यमंत्री के क्षेत्र के वे मतदाता हैं जो कि अब दूसरे क्षेत्र में नदी के कारण स्‍थानांतरित कर दिये गए हैं । हालंकि आज नवदुनिया का मुंबई न बन जाए   समाचार ठीक नहीं बन पड़ा है । पहले तो शीर्षक ही गलत लग गया है । स्‍थानीय पृष्‍ठ पर कैसे शीर्षक लगने हैं उसमें अगर नवदुनिया ही ग़लती करेगा तो लोग किसे देखेंगें । आंकड़ों में भी गलतियां हैं सीहोर में भारी वर्षा 2006 में हुई थी जिसको 2007 में लिखा गया है और दो बार लिखा गया है । हंसी की बात ये है कि शुरुआत में ही लिखा गया है कि नगर पालिकाओं ने गंभीरता के साथ अभियान नहीं छेड़ा ।  शायद समाचार लिखने वाले को पता नहीं है कि शहर में एक ही नगर पालिका होती है और वो इसलिये क्‍योंकि नीचे पूरा का पूरा समाचार सीहोर का ही है । मजे की बात ये है कि लिखा गया है कि  प्री मानसून की पहली ही बारिश में नाले जाम हो गए और पानी सड़कों से होता हुआ घरों में घुस गया   ये बात कहां की है ये तो लिखने वाला ही बात सकता है क्‍योंकि सीहोर में तो ऐसा नहीं हुआ जहां का ये समाचार बताया जा रहा है । आज की गलतियां नवदुनिया के लिये सरदर्द हो सकती हैं ।

राज एक्‍सप्रेस  ने आज नागरिक बैंक के चुनाव होने का समाचार लगाकर बाजी मार ली है क्‍योंकि जनरुचि का ये समाचार किसी भी समाचार पत्र में नहीं लगा है । उललेखनीय है कि नागरिक बैंक में 2001 के बाद चुनाव नहीं हुए हैं और ये समाचार आम जनता के लिये रोचक है । रिपोर्टर श्रवण मावई ने थानेदार से हवलदार तक बनेंगें वैज्ञानिक शीर्षक से अच्‍छा समाचार बनाया है ये समाचार भी दूसरे चूक गए हैं ।

कुल मिलाकर बात वही है क‍ि नवदुनिया और पत्रिका के पृष्‍ठों को मिलाकर तो एक सम्‍पूर्ण समाचार पत्र बन रहा है लेकिन अलग अलग में दोनों ही भास्‍कर से पीछे रहेंगें ।

क्‍या हिंदी की पीड़ा के बारे में बात करना सनसनी फैलाना है और नाग नागिन भूत प्रेत दाऊद की बात करना समाचार दिखाना है

कल के मेरे पोस्‍ट पर एक टिप्‍पणी मिली है जिसमें मुझे निर्देशित किया गया है कि मैं सनसनी फैलाने का काम नहीं करूं । निर्देशित करने वाले कोई जालिम जी हैं । मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि हिंदी की पीड़ा की बात करने का मतलब सनसनी फैलाना कहां से हो रहा है और मीडिया वाले जो भूत प्रेत नाग नागिन दिखा रहे हैं क्‍या वे जनहित के मुद्दे उठा रहे हैं अगर ऐसा ही है तो क्ष्‍मा करें मैं वैसा नहीं कर सकता हूं ।

चलिये बात करें इन दिनों पत्रकारों के अच्‍छे दिन आ गए हैं उसकी । मेरे ही शहर में अब पत्रकारों की सेलेरी भी पांच अंकों में पहुंच गई है । आज से पांच साल पहले कोई ऐसा सोच भी नहीं सकता था कि ऐसा होगा । उस पर हो ये भी रहा है कि पत्रकारों के भी थोक में स्‍थानांतरण हो रहे हैं । मेरे शहर में तीन माह पहले जो जिसे पेपेर में था उनमें से एक दो को छोड़कर सब कहीं और हो गए हैं । ऐसा नहीं है कि श्री आलोक मेहता ही आउटलुक से नवदुनिया में आए हैं हमारे पत्रकार भी इधर से उधर हो रहे हैं दो माह पहले शैलेष तिवारी जागरण में थे अब वे पत्रिका में हैं वसंत दासवानी अपना साप्‍ताहिक सीहोर एक्‍सप्रेस निकाल रहे थे अब वे नव दुनिया में हैं । संजय धीमान जागरण से पत्रिका और सूर्यमणी शुक्‍ला भास्‍कर से पत्रिका में आ गए हैं । नवदुनिया के ओम मोदी और महेंद्र सिंह ठाकुर अब अक्षर विश्‍व में हैं । योगेश उपाधयाय नव भारत से जागरण में चले गए हैं तो सुनील शर्मा राज एक्‍सप्रेस से जागरण में आए हैं । जय उपाध्‍याय नव भारत भोपाल से सीहोर आ गए हैं । जो नहीं बदले हैं उनमें स्‍तंभ लेखक भी हैं जो कि अभी भी क्षितिज किरण से जुड़े हैं।

खैर तो बात आज के समाचार पत्रों की भास्‍कर  ने आज सीहोर में 15 दिनों का पानी शेष होने का लीड लगाया है और कोई विशेष या पठनीय समाचार भास्‍कर के चार पेजों में कहीं नहीं है । भास्‍कर को अभी भी गंभीरता से सोचना होगा कि यदि समाचार छापने प्रारंभ नहीं किये तो केवल विज्ञापन से चार पेज भर कर पाठक को मूर्ख बनाने का काम अब नहीं चलने वाला है । उस पर जो पूरे रंगीन पेज करने की घोष्णा की गई थी वो भी छलावा सिद्ध हुई है । तो बात वही है कि यद‍ि भास्‍कर नहीं चेता तो उसके हिस्‍से की खीर नव दुनिया और पत्रिका बांट ले जाऐंगें ।

पत्रिका  ने विदेशी समाचार पत्रो को बड़े फोटो छापने का जो पेटर्न लिये है वो कुछ खलता है क्‍योंकि पाठक समाचार पत्र को पढ़ने के लिये ले रहा है देखने के लिये नहीं । उस पर भी पत्रिका के समाचार शासकीय विभागों के आस पास ही ज्‍यादा घूम रहे हैं । आज भी कौन खा रहा है बच्‍चों का भोजन शीर्षक से जो समाचार लगा है वो कमोबेश यही है । प्रधानमंत्री सड़क योजना का समाचार जो लगा है वो भी उसी पृष्‍ठभूमि पर है । पत्रिका के साथ जो अभी दिक्‍कत आ रही है वो ये है कि पत्रिका में पठनीयता नहीं आ पा रही है । बात वही है कि केवल दर्शनीयता से पेपर नहीं चलता पेपर में पठनीयता होना ही चाहिये ।

नवदुनिया  ने आज हवा में पेड़ और पोल उखड़ने का समाचार लीड किया है  तो ब्रांडेड पैट्रोल को लेकर भी एक समाचार लगा है साथ ही बस जब्‍त होने पर पुलिस वालों के बीच हुई झूमा झटकी का समाचार भी चित्र के साथ लगा है जिसमें दो पुलिस वालों के बीच हो रही झूमा झटकी साफ दिख  रही है । ये चित्र समाचार की जान बन पड़ा है । छत्‍तीस गढ़ के गृहमंत्री रामविचार नेताम जिनके पुत्र  की पिछले माह दुर्घटना में मौत हो गई थी उनके सपत्‍नीक दुर्घटना स्‍थल पर आने और उनके भावुक हो जाने का समाचार नवदुनिया ने ठीक प्रकार लगाया है ये समचार नवदुनिया के अलावा केवल भास्‍कर और जागरण में ही लगा है पर वहां सूचनाप्रद ही लगा है । पत्रिका आज के इस महत्‍वपूर्ण समाचार में चूक गई है ।

राज एक्‍सप्रेस में भी आज जल संकट को लेकर ही लीड समाचार लगा है जिसमें शहर के जल संकट को लेकर हाहाकार मचने को लेकर फोटो समाचार लगा है शहर में 350 लीटर केरासिन एक कार से जब्‍त होने का समाचार वो समाचार है जो कि भास्‍कर, पत्रिका और नवदुनिया तीनों से ही चूक गया है जबकि राज ने फोटो के साथ शहर के मेन बाजार में जब्‍त कार का समाचार छापा है । हैरानगी की बात है कि मेन रोड पर कार में 350 लीटर कैरोसिन जब्‍त होने का समाचार तीन प्रमुख समाचार पत्रों को नहीं मिल पाया है ।

जागरण ने छत्‍तीस गढ़ के गृह मंच्‍ी के समाचार को फोटों के साथ लीड में लगाया है । इसके अलावा महाराणा प्रताप जयंती पर निकली शोभायात्रा को भी काफी प्रमुखता के साथ छापा है जिसमें यात्रा के दो चित्र भी लगे हैं । उसके अलावा सभी सामान्‍य प्रेस विज्ञप्तियां ही लगी हुईं हैं ।

कुल मिलाकर आज के पेजों की बात करें तो आज जब गृहमंत्री की आंखें नम हो गईं छत्‍तीस गढ़ के राज्‍य मंत्री का समाचार लगा कर नव दुनिया ने बाजी मारी है वहीं राज एक्‍सप्रेस ने भी मेन रोड पर 350 लीटर केरोसिन जब्‍ती का समाचार लगा कर आगे निकलने का प्रयास किया है मुख्‍य बात ये है कि मुख्‍य बाजार में हुई इस घटना को लेने में भास्‍कर नवदुनिया और पत्रिका तीनों चूके हैं जबकि राज ने फोटो के साथ छापा है ।

हिंदी भाषा से अरबपति बनने वाले श्री अमिताभ बच्‍चन जब अंग्रेजी में अपना ब्‍लाग लिखते हैं तो क्‍या आपको शर्म नहीं आती कि हमने किस दोहरे चरित्र वाले को सर पर बैठा रखा है

हिंदी इन दिनों अपने सबसे संकट के दौर गुजंर रही है और शायद ये ही वो दौर होता है जिसको किसी भी भाषा के लिये क्रांतिक काल कहा जाता है । वो समय जब ये तय होता है कि कोई भाषा अपने आप को बचा कर रख पाएगी अथवा नहीं । और अगर भारत का इतिहास देखा जाए तो यहां पर तो युगों से होता आ रहा है आक्रमणकारियों की भाषा ने शनै: शनै : यहां की मूल भाषा को खत्‍म करने का काम किया है । संस्‍कृत गई खड़ी बोली गई और अब हिंदी की बारी है । शर्म तो तब आती है जब श्री अमिताभ बच्‍चन जिन्‍होंने हिंदी भाषियों का ही खून चूस चूस कर अरबों कमाए हैं वे भी अवसर आने पर अंग्रेजी में ही अपना ब्‍लाग प्रारंभ करते हैं । मेरे मित्र और पुलिस महानिरीक्षक श्री पवन जैन इन सारे लोगों को काले अंग्रेज कहते हैं । खैर ये तो बात हुई हिंदी की, हिंदी जिसको बचाने के लिये हर तौर पर प्रयास किये जा रहे हैं । मगर हिंदी फिल्‍मों से करोंड़ों की कमाई करने वाले शाहरुख खान और सैफ अली जब मंच पर हिंदी की हंसी उड़ाते हैं तो क्‍या आपको रोना नहीं आता । मातृभाषा की हंसी उड़ाने और मां की हंसी उड़ाने में बहुत ज्‍यादा फर्क नहीं होता ।

खैर ये तो विचार मैंने छोड़ दिये अब चले 6 जून के समाचार पत्रों की समीक्षा पर । भास्‍कर आज से अपने पूरे पेज रंगीन कर तो दिये हैं पर ये रंगीन कुछ समझ से परे की बात है क्‍योंकि रंगीन करने के नाम पर एक रंगीन पट्टी कुछ पेजों पर दे दी है । आज के पेज पर ट्रांस्‍फार्मर पर इनर्जी मीटर लगने का एक समाचार लगा है और साथ ही बरसात का समाचार और फोटो लीड में लगा है । राज एक्‍स्प्रेस ने आज न मैं कहूं तेरी न तू कहे मेरी शीर्षक से एक रोचक परिचर्चा लगाई है जिसमें सीहोर में राजनैतिक दलों द्वारा जन हित के मुद्दों पर चुप्‍पी साधे रहने पर जनता की प्रतिक्रियाएं लगाई हैं । साथ ही जल समस्‍या का एक फोटो आज लीड में लगा है । निर्मल ग्राम सरकारी योजना की जानकारी का समाचार रिपोर्टर श्रवण मावई के नाम से लगा है नाम से क्‍यों लगा है ये समझ से परे बात है । पत्रिका  का टैम्‍पो अभी भी नहीं बन पा रहा है और ये समाचार पत्र अब ये जानने के बाद कि पाठक उसकी ओर रुख नहीं कर रहे हैं हॉकरों को सेट करने की स्‍कीम लाने में लग गया है जिसके अंतर्गत छ: माह तक पेपर की वसूली का पूरा पैसा 45 रुपये एजेंट और हॉकर ही रखेंगें की योजना आई है । आज निकटस्‍थ ग्राम थूनाकलां में जल संकट का समाचार आधे पेज में लगा है पत्रिका को ये समझना होगा कि पाठक लीड पेज पर अपने ही शहर का समाचार चाहता है ना कि ग्रामीण अंचल का । नवदुनिया  ने आज लाइन मार गई शीर्षक से रोचक समाचार लगाया है जिसमें पानी की लाइन, बेराजगारों की लाइन, बैंके में चालान की लाइन, और घांसलेट की लाइन को लगकर अच्‍छी फोटो स्‍टोरी डवलप की है । वहीं एक और अन्‍य समचार में किराए पर चल रहे सरकारी भवनों का आंकडों से भरपूर समाचार लगा है ।

कुल मिलाकर समाचार पत्रों के इस महासंग्राम में चारों समाचार पत्र अपने अपने हिसाब से युद्ध को जीतनें का प्रयास कर रहे हैं । ग्राफिक्‍स और डिजाइनिंग में पत्रिका और नवदुनिया में कांटे की टक्‍कर है तो समाचारों के मामले में नवदुनिया और भास्‍कर में टक्‍कर है । पत्रिका को यदि भास्‍कर से टक्‍कर लेनी है तो उसको समाचारों का स्‍तर सुधारना होगा ।

समाचार पत्रों का महासंग्राम पाठकों को मिल रहीं है बाल्टियां बैग और जाने क्‍या क्‍या किन्‍तु कहां हैं समाचार

कुछ दिनों पहले तक तो ऐसा लग रहा था कि अब न्‍यूज चैनलों के दौर में समाचार पत्र दम तोड़ देंगे लेकिन कहा जाता है ना कि नया नौ दिन पुराना सौ दिन और वहीं हुआ भी । उधर समाचार चैनल भूत प्रेत दाऊद नागिन पुष्‍पक विमान, स्‍वर्ग की सीढ़ी टाइप की मूर्खताओं में उलझे और इधर पाठक जो कुछ दिनों के लिये दर्शक  हो गया था वो पुन: ऊब कर पाठक ही हो गया । समाचार चैनलों की हालत तो अब ये हो गई है कि जब कोई रोचक कार्यक्रम नहीं आ रहा होता है तब लोग समाचार चैनल पर रिमोट को लाते हैं और कुछ ही देर बाद समाचार चैनल से हट कर किसी दूसरे उबाऊ प्रोगाम को देखने लगते हैं ये सोच कर कि कितना ही उबाऊ होगा पर समाचार चैनलों से तो अच्‍छा ही होगा । मंगल पर जीवन, पृथ्‍वी खतरे में है यूएफओ जैसे ##यापे अब आम बात हो गए हैं और दिखाने वाले भी जान रहे हैं कि इनको कोई नहीं देखेगा पर क्‍या करें । अभी एक चैनल में सबसे घृणित कार्यक्रम आ रहा था जिसमें राजू श्रीवास्‍तव ( पक गई मक्‍का) महिलाओं के अंत:वस्‍त्र पहन कर कार्यक्रम दे रहा था ( अब इससे ज्‍यादा चैनलों का मानसिक  दीवालियापन और क्‍या कहा जाए ) । खैर तो समाचार पत्रों के सुहाने दिन लौट आए हैं और इसी के कारण समाचार पत्रों की संख्‍या भी बढ़ रही है ।

चलिये बात करें हमारे शहर में आज बंटे प्रमुख समाचार पत्रों के स्‍थानीय पेजों की । दैनिक भास्‍कर को शायद समझ में आ गया है कि यदि आगे रहना है तो पेपर में समाचार देने होंगें । आज सभी समाचार पत्रों ने वट सावित्री के फोटो चार कालम में लगाए हैं लेकिन भास्‍कर का फोटो सर्वश्रेष्‍ठ है । वहीं इछावर से रिपोर्टर परवेज खान का समाचार कुपोषित बच्‍चों को दूध और अंडा मिलेगा भी रोचक है । भास्‍कर के रिपोर्टर बलजीत ठाकुर ने दो घंटे का सीन में तहसील कार्यालय का दो घंटे का हाल बताने का प्रयास किया है किन्‍तु समाचार कुर्सी से गायब कर्मचारियों का बचाव करता नजर आता है । आर टी ओ में आन लाइन जमा होगा टैक्‍स और 15 जून को आएगा मानसून रोचक समाचार हैं । पत्रिका  अभी स्‍टोरी पर खेल खेल रही है आज की लीड स्‍टोरी बंगले छोड़ झोंपडि़यों की ओर रईस जा रहे हैं समाचार रोचक है मगर एक बात जो समाचार को कमजोर बना रही है वो ये कि हेडिंग में लिखा है बंगले छोड़ रईस झोंपडियों की ओर मगर अंदर वैसी कोई जानकारी नहीं है कि कौन कौन से रईसों ने ऐसा किया है  । रिपोर्टर शैलेष तिवारी ने आज रोजगार गारंटी योजना को लेकर एक स्‍टोरी दी है जो आंकड़ों के लिहाज से देखा जाए तो ठीक है । चढ़ता पारा बढ़ते मरीज और बंजर जमीनों के दोगुने दाम जैसे समाचार भी सीहोर पृष्‍ठ पर लगे हैं । जागरण का सीहोर पृष्‍ठ कुछ दिनों से कमजोर चल रहा है लेकिन आज प्रेम विवाह करने वालों के सरकारी आंकड़ों पर आधारित एक समाचार को यहां लीड स्‍टोरी बना कर पेपर की पुरानी पठनीयता को लौटाने का प्रयास किया गया है साथ ही कानाफूसी कालम के द्वारा समाचारों के पीछे के रोचक तथ्‍य तलाशने की कोशिश की है ये विधा आजकल कम होती ‍ जा रही है । राज ने आज इछावर के एसडीएम तूफान सिंह अहिरवार पर आपराधिक प्रकरण दर्ज होने की संभावना का एक रोचक समाचार लगाया है साथ ही शहर में कम हो रहे खेल मैदानों का समाचार लीड बना है शनि मंदिर को लेकर भी एक समाचार लगाया गया है । नवदुनिया  आज के मुख्‍यपृष्‍ठ पर एक भी विज्ञप्ति न लगाकर पूरे समाचार ही लगाए हैं  उनमें से विद्युत मंडल पर सरकारी विभागों की लाखों की राशि बकाया होने का समाचार लगा है और वहीं मुहलले की बिजली चोरी होने पर पता लगाने की तकनीक की रोचक जानकारी है । सीहोर से भोपाल बायपास को जोड़ने वाले मार्ग के बन जाने का समाचार पहली बार किसी पेपर में प्रकाशित हुआ है । वट सावित्रि का चार कालम में लगा फोटो और बेहतर हो सकता था । नव भारत ने आज जल संकट का एक समाचार तथा अन्‍य विज्ञप्तियां अपने पृष्‍ठ पर दी हैं । कुल मिलाकर समाचार पत्रों की भिड़ंत में पाठकों को समाचार मिलने लगे हैं । जों एक शुभ संकेत है ।

समाचार पत्रों के महासंग्राम में पत्रिका दूसरे दिन भी कमजोर सिद्ध हुई भास्‍कर और नवदुनिया में कांटे की टक्‍कर

भोपाल क्षेत्र के पाठक इन दिनों ले रहे हैं समाचार पत्रों के महा संग्राम का मज़ा और इस मज़े के उनको कई लाभ भी मिल रहे हैं । हालंकि ये बात तो अभी भी तय नहीं हो पाई है कि पाठकों को समाचार मिल पा रहे हैं या नहीं । नवदुनिया, भास्‍कर, राज एक्‍सप्रेस और पत्रिका में घोषित रूप से महासंग्राम चल रहा है । कल राजधानी से सटे जिला मुख्‍यालय सीहोर में इस महासंग्राम का असर सुबह दिखाई दिया जब कल पत्रिका की लांचिंग तो हुई पर उसके साथ एक बात और भी हुई और वो ये हुई कि सुबह सुबह चार बजे दैनिक भास्‍कर के बंडल गायब हो गए और हाकरों में हड़कंप मच गया । अब ये क्‍या मामला है ये तो समाचार पत्र वाले ही जानें लेकिन हुआ ये ही कि कल जब पत्रिका बंट रहा था तो सीहोर में भास्‍कर के काफी पाठकों को भास्‍कर नहीं मिल पाया । खैर ये तो हुई अंदर की बात अब बात करते हैं समाचार पत्रों के सीहोर के पृष्‍ठ की । नवदुनिया ने आज जहां नौतपे को लकर एक आकर्षक डिजायनिंग का समाचार दिया है जिसमें नौतपे को लेकर पूरे नौ दिनों की स्थिति को बताया है और साथ में शिलान्‍यास के पूर्व पानी की टंकी ढहने के कारण हुई मौत और उसमें ठेकेदार पर मामला दर्ज होने का मामला भी प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है ये समाचार आज किसी अन्‍य समाचार पत्र ने प्रकाशित नहीं किया है । उधर दैनिक भास्‍कर ने अपने रिपोर्टर हरि विश्‍वकर्मा का समाचार गेंहू खरीदी से गोदाम फुल को प्रमुखता से लगाया है जिसके साथ एक फोटो और कैप्‍शन भी लगा है । समाचार रोचक नहीं है और केवल आंकड़ों से ही भरा है इसके अलावा भास्‍कर ने कोई और समाचार नहीं लगाया है बाकी विज्ञप्तियां ही हैं । हालंकि अंदर के पृष्‍ठ पर कृषि विसतार अधिकारी कार्यालय का इछावर से लगा समाचार रोचक है और चित्र के साथ होने के कारण प्रभावी है । फिर भी दैनिक भास्‍कर के साथ जो शिकायत पाठको को है कि इसमें समाचार नहीं होते वो आज के पत्र से ही पता चल रहा है । गेंहू खरीदी का समाचार मुख्‍य समाचार बन गया है जो कि उबाऊ है । पत्रिका ने आज ग्राफिक्‍स का खेल दिखाने का प्रयास तो किया है पर उसमें भी समाचार कम चित्र ज्‍यादा हो गए हैं छ: कालम में लीड स्‍टोरी लगी है जिसमें कुल मिलाकर बीस लाइनें हैं अब इसी से समझा जा सकता है कि क्‍या स्थिति है छ: कालम में लगभग पचास साइज में हेडिंग और दो स्‍टाक के फोटो के साथ केवल बीस लाइन का समाचार है जो रिपोर्टर शैलेष तिवारी के नाम से लगा है । उसमें भी दिक्‍कत है कि समाचार सप्‍ताह भर पहले हिन्‍दुस्‍तान टाइम्‍स के रिपोर्टर एम हैदर के नाम से एचटी में लग चुका है । पत्रिका को अब ये समझना होगा कि समाचार दूसरे पेपरों से लेने से काम नहीं चलेगा । नीचे क्रासर में फिर पांच कालम का एक फोटो है जिसके साथ में फिर केवल बीस लाइनों का समाचार है दीवरों पर बच्‍चों द्वारा बनाई गई पेंटिगों का । बड़े फोटो लगा कर छोटे समाचार लगाने की ये टेक्‍नीक पाठकों को कब तक बहला सकेगी ये समय बताएगा । दौड़ में पीछे चल रहा नव भारत आज शनि जयंती का रोचक समाचार लगा कर कुछ बाजी मार गया है जिसमें सीहोर के शनि मंदिर के चित्र के साथ तीन कालम का समाचार लीड बना है  ये समाचार अन्‍य किसी समाचार पत्र में नहीं है । वहीं राज एक्‍सप्रेस की यदि बात करें तो राज में भी अब रोचकता की कमी हो गई है किन्‍तु आज टाउन हाल की जमीन को लेकर एक रोचक समाचार वहां पर लगा है जिसमें रवीन्‍द्र भवन की जमीन के दान पत्रों का उल्‍लंघन करने और वो जमीन छीने जाने का जिक्र है । बाकी समाचार ना होकर विज्ञप्तियां ही हैं । तो ये था आज का दिन, पत्रिका को लेकर उठा झाग बैठ गया है । ऐसा लग रहा है कि अब पत्रिका को भास्‍कर से नहीं बल्कि राज नव भारत और जागरण के साथ मुकाबला करना है । ऊपर के लिये नवदुनिया और भास्‍कर में ही संग्राम होगा ।

हमारे शहर में पत्रिका के संस्‍करण की फीकी शुरूआत, इधर उधर के समाचार पत्रों से उठाकर बना दिया सीहोर संस्‍करण

कहते हैं कि जिसकी ज्‍यादा प्रतीक्षा होती है वो अक्‍सर उम्‍मीदों पर खरा नहीं उतरता है । भोपाल क्षेत्र में समाचार पत्रों की जो लड़ाई चल रही है उससे पाठको को क्‍या फायदा मिलता है ये तो आने वाले समय में ही पता चलेगा पर अभी तो सभी पेपर युद्ध में लगे हैं । पहले नईदुनिया ने नवदुनिया के नाम से अपना कलेवर बदला और नए रूप में सामने आया और अब राजस्‍थान पत्रिका जो कुछ दिनों पहले भोपाल से प्रारंभ हो चुकी है वो सीहोर में भी आज आ गई । नवदुनिया ने जिस तरह से आते ही पाठकों का मन जीत लिया था वैसा यहां पर नहीं हो पाया एक तो ये कि नव दुनिया की छपाई की क्‍वलिटी सबसे बढि़या आई तो उसको पसंद किया गया लोगों ने जाना क‍ि समाचार पत्रों में इतने अच्‍छे फोटो भी लग सकते हैं । दूसरा इंदौर की नवदुनिया का नियंत्रण आने से समाचार पत्र में पठनीयता बढ़ी । पत्रिका जहां पर मात खा गई है वो दोनों ही क्षेत्र हैं । पहला तो छपाई की क्‍वालिटी उतनी अच्‍छी नहीं है दूसरा समाचारों में भी मात खा गई है । सीहोर के पेज पर वे समाचार लगे हैं जो दूसरे समाचार पत्रों में दस दिन पहले लग चुके हैं । जैसे लीड स्‍टोरी बनाया गया है इछावर के समाचार लड़कों की संख्‍या से ज्‍यादा लड़कियों की संख्‍या को जो कि वहां के संवाददाता के नाम से लगी है । ये समाचार वास्‍तव में दैनिक भास्‍कर का है और इछावर के संवाददाता परवेज मोहम्‍मद के नाम से पंद्रह दिन पहले लग चुका है । उसीको अब पत्रिका ने अपने संवाददाता राजेश शर्मा के नाम से लगा दिया है । ये एक बड़ी चूक है जो पहले ही दिन हुई है इससे पत्रिका के संपादकीय विभाग की क्‍वलिटी का पता चलता है । एसे ही एक समाचार लगा है मिथक को लेकर जो कि इछावर में मुख्‍यमंत्री की यात्रा को लेकर है ये एक ऐसा समाचार है जिसको पढ़ पढ़ के पिछले दस सालों से लोग बोर हो चुके हैं दैनिक भास्‍कर इस समाचार को बीसियों मर्तबा छाप चुका है और वार्ता से भी ये समाचार कई बार जारी हो चुका है । उसी समाचार को अपने पहले अंक में लगाना समझ से परे की बात है और वो भी तब जब इसका कोई औचित्‍य नहीं है ये समाचार इछावर में आने वाले मुख्‍यमंत्रियों से संबंधित है पर अभी  जब ना तो कोई मुख्‍यमंत्री इछावर आ रहा है ना ही आने की संभावना है तब ये समाचार छापना संपादकीय मंडल की एक और भूल है । एक और बात जो कि समाचार पत्र के सीहोर पेज को देखने में आ रही है वो ये कि अधिकतर समाचार शासकीय योजनाओं के आस पास घूम रहे हैं जिनको पढ़ने में आम पाठक की दिलचस्‍पी नहीं होती है । पहले ही पेज पर ऐसे ही समाचार भरे हुए हैं । पठनीयता जिसकी कमी दैनिक भास्‍कर में आने के बाद से पाठक उसकी तलाश में था । पत्रिका को लेकर भी पाठकों में वही उत्‍सुकता थी किन्‍तु पहला ही दिन पाठकों के लिये निराशा का रहा है । पढ़ी पढ़ाई खबरें और दोहराव की खबरों ने उत्‍सुकता पर पानी फेर दिया है । अंग्रेजी की कहावते ''बेस्‍ट बि‍गन इस हाफ डन'' या '' फर्स्‍ट इम्‍प्रेशन इस द लास्‍ट इम्‍प्रेशन'' की मानें तो शुरुआत बिगड़ चुकी है  । दैनिक भास्‍कर से प्रतियोगिता करने आया पत्रिका उसी दैनिक भास्‍कर के पुराने समाचारों को प्रकाशित करके किस तरह की प्रतियोगिता करना चाह रहा है ये समझ से परे बात है ।