सीहोर के साहित्य जगत को आज एक महती उपलब्धि प्राप्त होने जा रही है, सीहोर के कहानीकार तथा कवि पंकज सुबीर को देश का सबसे बड़ा युवा साहित्य पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार 29 दिसम्बर को नई दिल्ली में देश के शीर्ष साहित्यकारों की उपस्थिति में प्रदान किया जायेगा ।
भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा हर वर्ष किसी युवा को ये पुरस्कार प्रदान किया जाता है । इस वर्ष का पुरस्कार सीहोर के खाते में गया है । सीहोर के पंकज सुबीर को ये पुरस्कार 29 दिसम्बर को शाम पांच बजे नई दिल्ली के प्रगति मैदान पर चल रहे पुस्तक मेले के सभागार में प्रदान किया जायेगा । पुरस्कार समारोह में देश के शीर्ष आलोचक डॉ. नामवर सिंह, सुप्रसिध्द कहानीकार चित्रा मुदगल, नया ज्ञानोदय के संपादक श्री रवीन्द्र कालिया उपस्थित रहेंगें । भारतीय ज्ञानपीठ ने इस वर्ष को उपन्यास वर्ष घोषित करते हुए इस वर्ष ये पुरस्कार किसी युवा लेखक के पहले उपन्यास को दिये जाने का निर्णय लिया था । तथा इसके लिये एक चयन समिति शीर्ष आलोचक डॉ. नामवर सिंह की अध्यक्षता में बनाई गई थी । जिसमें डॉ. गंगा प्रसाद विमल, नया ज्ञानोदय के संपादक रवीन्द्र कालिया, आलोचक डॉ. विजय मोहन सिंह, कथाकार चित्रा मुद्गल, कथाकार अखिलेश सम्मिलित थे । देश भर से प्राप्त पांडुलिपियों में से चयन करके ये पुरस्कार प्रदान किया जाना था । चयन समिति की बैठक में वर्ष 2010 के ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार के लिये सीहोर के युवा कथाकार पंकज सुबीर को उनके उपन्यास ये वो सहर तो नहीं तथा दिल्ली के कथाकार कुणाल सिंह को संयुक्त रूप से ये पुरस्कार प्रदान करने का निर्णय लिया गया था । पंकज सुबीर का ये उपन्यास सीहोर में 1857 की क्रांति के दौरान हुए घटनाक्रम पर आधारित है । उस समय यहां पर बनाई गई सिपाही बहादुर सरकार का विस्तार से घटनाक्रम इस उपन्यास में आता है । इसके साथ में वर्तमान की प्रशासनिक व्यवस्था को भी 1857 की कहानी के साथ मिला कर ये बताने की कोशिश की है कि 150 सालों में देश में कहीं भी कुछ नहीं बदला है । उपन्यास को देश भर के साहित्यिक क्षेत्र में व्यापक सराहना मिल रही है । उल्लेखनीय है कि कहानी तथा उपन्यास के क्षेत्र में पहली बार ये पुरस्कार मध्यप्रदेश के खाते में आया है इससे पहले कविता के लिये ये पुरस्कार मध्यप्रदेश को एक बार मिल चुका है ।
भारतीय ज्ञानपीठ का युवा पुरस्कार आज सीहोर के सुबीर को
श्री राकेश खंडेलवाल जी को वर्ष 2010 का शिवना सारस्वता सम्मान प्रदान किया, अर्श, गौतम, अंकित, वीनस और रवि भी उपस्थित थे ।
आज जब अपने देश में ही लोग हिंदी को भूल रहे है ऐसे में विदेश में रहकर हिन्दी की सेवा करना हम सब के लिए गौरव की बात है। यह बात हिन्दी प्राध्यापक डा.श्रीमती पुष्पा दुबे ने शिवना प्रकाशन द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में व्यक्त की। शवना प्रकाशन द्वारा इस वर्ष का सारस्वत सम्मान श्री राकेश खंडेलवाल जी को साहित्य सेवा के लिए यहां शनिवार की रात का आयोजित एक गरिमामय समारोह में प्रदान किया गया।
हिन्दी प्राध्यापक साहित्यकार पुष्पा दुबे के मुख्यआतिथ्य एवं वरिष्ठ साहित्यकार नारायण कासट की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में श्री खंडेलवाल को इस वर्ष का शिवना सारवस्त सम्मान प्रदान किया गया। विशेष अतिथि के रुप में परिवार परामर्श केन्द्र के राजकुमार गुप्ता उपस्थित थे।
पूर्ण विधि विधान के साथ कुणाल, राहुल, हिमांशु, अक्षत ने श्री खंडेलवाल के सबसे प्रथम पाद प्रक्षालन किये ।
पंडित शैलेश तिवारी द्वारा किये जा रहे मंत्रोच्चार तथा श्रोताओं द्वारा की जा रही पुष्प वर्षा के बीच श्री खंडेलवाल को वर्ष 2010 का शिवना सारस्वत सम्मान प्रदान किया गया । जब यह सम्मान प्रदान किया गया तो श्री खंडेलवाल भावुक हो गए। अतिथियों ने उन्हें शाल श्रीफल, सम्मान पत्र, स्मृति चिन्ह भेंटकर किया जाकर सम्मान प्रदान किया गया। सम्मान पत्र का वाचन श्री जयंत शाह ने किया ।
इससे पहले अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यापर्ण एवं दीप प्रज्जवलित किया।
अतिथियों का स्वागत आयोजक पंकज पुरोहित सुबीर, दिनेश द्विवेदी, हरिओम शर्मा दाउ, रियाज मो रियाज, शैलेष तिवारी, जंयत शाह,सोनू ठाकुर, धर्मेंद्र कौशल, सनी गोस्वामी, मेघा सक्सेना, गौतम राजरिशी, वीनस केशरी, प्रकाश अर्श, रविकांत पांडे, अंकित सफर आदि द्वारा किया गया।
पीसी लैब पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए डा. पुष्पादुबे ने कहा कि आज लोगों को जब विदेश में जाने का अवसर मिलता है तो उनके सामने केवल एक ही मकसद पैसा कमाने का होता है पर श्री खंडेलवाल ने वहां पर साहित्य की सेवा कर हिन्दी भाषी लोगों का मान बढ़ाया है। विदेश में जाकर पैसा कमाना कोई बुरी बात नहीं है पर वहां पर अपने देश और साहित्य की सेवा करना नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा दायक है। वरिष्ठ साहित्यकार श्री कासट ने कहा है कि आज हम साकार और निराकार दोनों का ही सम्मान कर रहे है। श्री खंडेलवाल के साथ-साथ उनके काव्य सर्जन का सम्मान कर हम गौरवान्वित हो रहे है। आयोजन के सूत्रधार साहित्यकार पंकज पुरोहित सुबीर ने शिवना सम्मान पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि शिवना का सफर सीहोर से अमेरिका तक पहुंच गया है जिसके पीछे कहीं न कहीं श्री खंडेलवाल की भी भूमिका है।
संचालन पत्रकार प्रदीप एस चौहान ने किया अंत में आभार पत्रकार शैलेष तिवारी ने माना। कार्यक्रम ब्लाग जगत से सर्वश्री दिनेश द्विवेदी (कोटा), लेफ्टिनेंट कर्नल गौतम राजरिशी (कश्मीर), वीनस केशरी (इलाहाबाद), रविकांत पांडेय (कानपुर ), प्रकाश अर्श (नई दिल्ली), अंकित सफर (मुम्बई) आदि भी उपस्थित थे।
कार्यक्रम के बाद आयोजित द्वितीय चरण काव्य गोष्ठी की विस्तृत रपट कल तथा वीडियो भी कल ।
शिवना प्रकाशन द्वारा 11 दिसम्बर को सुकवि श्री राकेश खंडेलवाल जी को वर्ष 2010 का शिवना सारस्वत सम्मान प्रदान किया जायेगा ।
श्री राकेश खंडेलवाल जी
विश्व में हिंदी की विजय पताका फहराने वाले कई सारे महत्वपूर्ण नामों में एक नाम बहुत खास है और वो नाम है हिंदी गीतों के सुप्रसिद्ध कवि श्री राकेश खंडेलवाल जी का । श्री खंडेलवाल आज हिंदी के पारम्परिक गीतों के कवियों में अपनी तरह के अनूठे ही कवि हैं । श्री राकेश खंडेलवाल भारतीय मूल के हैं तथा वर्तमान में वाशिंगटन ( अमेरिका) में निवासरत हैं । वे वाशिंगटन हिंदी समिति सहित कई सारी हिंदी के क्षेत्र में काम कर रही संस्थाओं से जुड़े हुए हैं । श्री राकेश खंडेलवाल इन दिनों भारत की यात्रा पर हैं तथा दिनांक 11 दिसम्बर को वे सीहोर पहुंच रहे हैं ।
शिवना सारस्वत सम्मान
शिवना प्रकाशन द्वारा हर वर्ष सुकवि मोहन राय स्मृति पुरस्कार ( युवा कवि को ) तथा शिवना सारस्वत सम्मान ( वरिष्ठ हिंदी सेवी को ) प्रदान किया जाता है । वर्ष 2010 के लिये ये क्रमश: डा मोहम्मद आज़म तथा श्री राकेश खंडेलवाल जी को प्रदान करने की घोषणा की गई थी । ये दोनों ही सम्मान फरवरी में दिये जाने थे लेकिन उस समय राकेश जी की भारत यात्रा टल जाने के कारण कार्यक्रम नहीं हो पाया था । बाद में शिवना प्रकाशन के मुशायरे में डॉ आज़म को पुरस्कार प्रदान किया गया था । अब श्री राकेश खंडेलवाल जी की सीहोर यात्रा के दौरान एक आत्मीय आयोजन में उनको वर्ष 2010 का शिवना सारस्वत सम्मान प्रदान किया जायेगा । उल्लेखनीय है कि श्री राकेश जी पुस्तक अंधेरी रात का सूरज वर्ष 2008 में शिवना प्रकाशन से प्रकाशित हुई थी । ये पुस्तक साहित्यिक हलकों में बहुत चर्चित रही थी ।
अंधेरी रात का सूरज ( श्री राकेश खंडेलवाल जी )
श्री राकेश खंडेलवाल जी को ये सम्मान दिनांक 11 दिसम्बर श्ानिवार को स्थानीय पी: सी: लैब में शाम सात बजे आयोजित एक गरिमामय समारोह में प्रदान किया जायेगा । कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्री नारायण कासट नदीम करेंगें जबकि स्थानीय शासकीय कॉलेज में हिंदी की प्रोफेसर डॉ पुष्पा दुबे कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगीं । कार्यक्रम का संचालन शिवना पुरस्कार से सम्मानित कवि डॉ मोहम्मद आज़म करेंगें । कार्यक्रम के द्वितीय चरण में एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया जायेगा ।
श्री नारायण कासट नदीम डॉ पुष्पा दुबे डॉ मोहम्मद आज़म
कार्यक्रम में ब्लाग जगत की भी कुछ शख्सियत उपस्थित रहेंगीं जिनमें सर्वश्री दिनेश द्विवेदी, गौतम राजरिशी, वीनस केशरी, रविकांत पांडेय, प्रकाश अर्श, अंकित सफर आदि प्रमुख हैं ।
दिनेश द्विवेदी, गौतम राजरिशी, रविकांत पांडेय
अंकित सफर, प्रकाश अर्श, वीनस केशरी
और बाकी तो आप सब होंगे ही आप सब के आने से कार्यक्रम की गरिमा बढ़ेगी । शिवना प्रकाशन का सादर साग्रह अनुरोध है कि कार्यक्रम में अवश्य पधारें । अवश्य का अर्थ अवश्य ।