बीस हजार रुपयों के लिये बना रखा है उसके परिवार को बंधुआ मज़दूर

भले ही सरकारे ये दावे करती हों कि बंधुआ मजदूरी और खून चूसने वाले साहूकारों की बातें अब गुजरें जमाने की बातें हो गईं हैं लेकिन सच ये ही है कि आज भी बंधुआ मजदूरी की प्रथा चल रही है । मध्‍यप्रदेश में मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर में ही सूदखोरों को ये आलम है कि सौ प्रतिशत तक ब्‍याज लिया जाता है और ये सूद वार्षिक न होकर होता है मासिक । अर्थात यदि आपने आज हमसे 1000 रुपये उधार लिये हैं तो अगले माह की इसी तारीख को आपको 2000 रुपये देनें होंगें । सात साल पूर्व ऐसा ही एक प्रकरण सामने आया था सीहोर के एसपी श्री पवन जैन के सामने  जो आज उज्‍जैन के आई जी हैं । तब उन्‍होंने द्रवित होते हुए पूरे जिले में एक अभियान चलाया था जिसे सूदखोरी विरोधी अभियान का नाम दिया था । उस अभियान को सफलता भी मिली थी मगर आज वो भी बीते कल की बात हो गया है ।

आइये अब बात करते हैं एक ऐसे ही प्रकरण की जो मुख्‍यमंत्री के अपने ही जिले में सरकारी दावों की पोल खोलता नज़र आता है । सीहोर जिले के धामन खेड़ा ग्राम में आदिवासी सजनसिंह ने सीहोर के सतीश राय से तीन साल पहले बीस हजार रुपये कर्ज पर लिये थे । तीन सालों में वो तीस हजार रुपये दे चुका है लेकिन उसका कर्ज अभी भी जस का तस है । सतीश राय ने उसको तथा उसके पुत्र दोनों को बंधुआ मजदूर बना कर अपने यहां रखा है तथा ब्‍याज के एवज में उससे काम करवा रहा है । इसके अलावा सजन सिंह का ट्रेक्‍टर भी उसने खींच कर अपने यहां रख लिया है पैसे चुकाने पर वापस करने की बात कर रहा है । प्रश्‍न ये उठता है कि जब बीस हजार के तीस दिये जा चुके हैं तथा केवल तीन साल की अवधि ही हुई है तो फिर ये कौन सी ब्‍याज दर है कि तीस हजार देने के बाद भी उसे बंधुआ मजदूर बना कर रखा गया है तथा उसका ट्रेक्‍टर भी जब्‍त करके रखा है ।

फिलहाल ये तो हुआ है कि आखिरकार पुलिस ने सतीश राय के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया है और जांच चालू कर दी है । किन्‍तु से तो सब जानते हैं कि जांच से क्‍या होना है ।