कहानीकार तेजेन्द्र शर्मा को शिवना प्रकाशन ने किया सम्‍मानित

DSC_6863 ये षडयंत्र रचा जा रहा है कि अंग्रेजी अमीरों की भाषा हो जाये और हिंदी गरीबों की भाषा हो जाये । यदि ऐसा हो जाता है तो ये देश के लिये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण होगा । हिंदी केवल गरीबों की का सूचक होकर रह जायेगी । सन दो हजार पचास तक आकर हिंदी की स्थिति भारत में बहुत खराब हो जायेगी । उक्त विचार लंदन के सुप्रसिद्ध भारतीय मूल के हिंदी कहानीकार तेजेन्द्र शर्मा ने शिवना प्रकाशन द्वारा आयोजित अपने सम्मान कार्यक्रम में बोलते हुए व्यक्त किये ।

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तेजेन्द्र शर्मा इन दिनों भारत के प्रवास पर आये हुए हैं । तथा शिवना प्रकाशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने के लिये वे सीहोर आये । कार्यक्रम की अध्यक्षता स्थानीय स्नात्कोत्तर महाविद्यालय में हिंदी की विभागाध्यक्ष डॉ पुष्पा दुबे ने की । शिवना प्रकाशन की ओर से साहित्यकार पंकज सुबीर ने तेजेन्द्र शर्मा के व्यक्तित्व तथा कृतित्व पर विस्तार से चर्चा की । इस अवसर पर शिवना प्रकाशन की ओर से तेजेन्द्र शर्मा का सम्मान किया गया ।

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डॉ पुष्पा दुबे, डॉ राजकुमारी शर्मा ने शाल श्रीफल भेंट कर उन्हें सम्मानित किया । इस अवसर पर पुश्किन सम्मान से सम्मानित वरिष्ठ कथाकार हरि भटनागर को भी सम्मानित किया गया ।

DSC_6883 इस अवसर पर बोलते हुए डॉ पुष्पा दुबे ने तेजेन्द्र शर्मा के साहित्य पर विस्तार से प्रकाश डाला । उन्होंने कहा कि तेजेन्द्र शर्मा जी की कहानियों में विचारों तथा संवेदनाओं को अनोखा संतुलन दिखाई देता है ।

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उनकी कहानियों में विदेशी परिवेश होने के बाद भी कहीं न कहीं भारत दिखाई देता है । तेजेन्द्र शर्मा की कहानी कब्र का मुनाफा एक ऐसी कहानी है जो ये बताती है कि दुनिया के हर हिस्से में समस्याएं एक सी हैं ।

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इस अवसर बोलते हुए तेजेन्द्र शर्मा ने कहा कि हिंदी की समस्या हिन्दुस्तान में ही है विदेशों में नहीं है, वहाँ पर तो हमारा दीवानापन हिंदी को जिंदा रखे हुए है ।

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भारत में ये दीवानापन कहीं न कहीं कम हो रहा है जिसके कारण आज हिंदी की ये हालत है । उन्होंने कहा कि हम हिंदी के भले की बात मंचों पर तो करते हैं लेकिन हिंदी को जिंदा रखने के लिये कोई भी तैयार नहीं है ।

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हम अपने बच्चों को पढ़ाते अंग्रेजी मीडियम के स्कूलों में ही हैं । साहित्य की बात करते हुए उन्होंने कहा कि केवल कुछ ही विषयों पर लिखने का दबाव डालकर हिंदी साहित्य का सबसे बड़ा अहित किया जा रहा है । विचारों को थोपा जा रहा है ।

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हिंदी लेखकों की लगभग ढाई पीढ़ी हिंदी के दो पुरोधाओं को ही संतुष्ट करने में खत्म हो गई । केवल उनके अनुसार साहित्य रचने के चक्कर में हिंदी साहित्य का बहुत अहित हो गया है । श्री शर्मा ने कहा कि लेखक कभी प्रवासी नहीं होता वो केवल लेखक होता है ।

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दुनिया की किसी भी भाषा में ये नहीं होता कि उसके कहानीकार को प्रवासी कहा जाये, ये केवल हिंदी में ही होता है । इससे पूर्व अतिथियों का स्वागत वरिष्ठ पत्रकार दिनकर कद्रे तथा शैलेष तिवारी ने किया । इस अवसर बड़ी संख्या में शहर के गणमान्य नागरिक एवं पत्रकारण उपस्थित थे ।

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पत्रकारों से मुखातिब हुए तेजेन्द्र शर्मा
सीहोर । पत्रकारों से चर्चा करते हुए लंदन से आये वरिष्ठ साहित्यकार तेजेन्द्र शर्मा ने कहा कि हिंदी को समाज में जिंदा रखने के लिये सभी वर्ग के लोगों को प्रयास करने होंगे । क्योंकि यदि हम अभी जागरूक नहीं हुए तो आने वाले वर्षों में हम अपनी इस मातृभाषा से काफी दूर हो चुके होंगे । एक प्रश्न के उत्तर में श्री शर्मा ने कहा कि मैं अंग्रेजी के विरोध में नहीं हूँ ना ही हिंदी भाषियों को अंग्रेजी से दूर करने की बात कर रहा हूँ ।

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मैं तो हिंदी का सेवक हूँ और मैं ये चाहता हूँ कि जहाँ भी भारतीय रहें वे हिंदी को न छोड़ें अपने बच्चों को अंग्रेजी भाषी स्कूलों में पढ़ाएं जरूर पर अंग्रेजी एक विषय के रूप में पढ़ी जाये और उस पर भी विद्यार्थियों की पकड़ हिंदी की भांति रहे किसी दूसरी भाषा पर पकड़ बनाने के लिये ये जरूरी नहीं है कि हम अपनी मातृभाषा को ही भूल जाएं । आज विदेशों तथा इंटरनेट पर हिंदी को पर्याप्त महत्व दिया जा रहा है पर दुर्भाग्य का विषय ये है कि अपने देश से ही हिंदी को बाहर धकेलने की कोशिश की जा रही है । अंत में उन्होंने सभी लोगों से आग्रह किया कि वे अपने स्तर पर हिंदी के सम्मान को  बचाने की दिशा में प्रयासरत रहें मेरा विश्वास है कि सभी के प्रयास कभी विफल नहीं होते ।

पुण्य स्मरण संध्या में शशिकांत यादव और डॉ आजम सम्मानित हुए

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सुकवि जनार्दन शर्मा, गीतकार रमेश हठीला, शायर डॉ. कैलाश गुरू स्वामी तथा गीतकार मोहन राय की स्मृति में आयोजित पुण्य स्मरण संध्या में सुप्रसिद्ध कवि श्री शशिकांत यादव शशि को सुकवि रमेश हठीला सम्मान तथा डॉ. मोहम्मद आज़म को जनार्दन शर्मा सम्मान से सम्मानित किया गया। दोनों सम्मानित कवियों ने अपने काव्य पाठ से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया ।
स्थानीय ब्ल्यू बर्ड स्कूल के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में नगरपालिका अध्यक्ष श्री नरेश मेवाड़ा उपस्थित थे कार्यक्रम की अध्यक्षता शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में हिंदी की विभागाध्यक्ष डॉ पुष्पा दुबे ने की । कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित किया चारों साहित्यकारों के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की । सुकवि संतोष जैन संतु ने मां सरस्वती की वंदना का सस्वर पाठ किया । आयोजक संस्था स्मृति के संयोजक पत्रकार बसंत दासवानी, समाजसेवी ओमदीप, श्री राममूर्ती शर्मा, रियाज मोहम्मद, अनिल पालीवाल, अनवारे इस्लाम, हरिओम शर्मा दाऊ, अब्दुल रशीद शैदा, रमेश गोहिया,  श्रवण मावई ने पुष्पगुच्छ भेंट कर अतिथियों का स्वागत किया । स्वागत भाषण देते हुए बसंत दासवानी ने आयोजन के बारे में जानकारी दी । इस अवसर पर देश के प्रसिद्ध कवि श्री शशिकांत यादव को प्रथम सुकवि रमेश हठीला सम्मान तथा शायर डॉ. मोहम्मद आज़म को तैंतीसवां सुकवि जनार्दन सम्मान प्रदान किया गया । श्री नरेश मेवाड़ा तथा डॉ. पुष्पा दुबे ने शाल, श्रीफल तथा सम्मान पत्र भेंट कर ये सम्मान प्रदान किये । इस अवसर पर बोलते हुए नपाध्यक्ष श्री नरेश मेवाड़ा ने कहा कि 19 जनवरी का ये दिन सीहोर के साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों तथा श्रोताओं को याद दिलाने की आवश्यकता ही नहीं होती, तैंतीस सालों में इस आयोजन ने एक अलग पहचान स्थापित कर ली है । उन्होंने कार्यक्रम को और भव्य स्तर पर आयोजित किये जाने की बात कही । डॉ पुष्पा दुबे ने अपने अध्यक्षीय भाषण में चारों साहित्यकारों के साहित्यिक अवदान पर विस्तृत चर्चा की । उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन के दूसरे उदाहरण बहुत मुश्किल से मिलेंगे जहां पर शहर इस प्रकार से अपने साहित्यकारों को याद कर रहा है । उन्होंने इस बात को लेकर स्मृति संस्था की सराहना की कि तैंतीस सालों से एक आयोजन को अनवरत किया जा रहा है । कवि शशिकांत यादव ने काव्य पाठ से पहले अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सीहोर मुझे अपना ही शहर लगता है यहां कविता के संस्कार हैं । श्री यादव ने अपनी सुप्रसिद्ध कविता फैसला तो हो चुका है फासले घटाइये  सहित कई छंद और मुक्तक पढ़े । श्रोताओं के अनुरोध पर उन्होंने गुजरात सरकार के लिये लिखी अपनी कविता मतदान ज़रूरी है भी पढ़ी । डॉ. मोहम्मद आज़म ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कवि के रूप में, शायर के रूप में मुझे सीहोर शहर ने ही तराशा है, सीहोर ने ही मुझे स्थापित किया है । डॉ आज़म ने अपनी प्रसिद्ध ग़ज़ल नहीं जहर की थैली इन्सां के मुंह में, ज़बां से मगर वो उगलता बहुत है, सहित कई ग़ज़लों का पाठ किया जिन्हें श्रोताओं ने खूब सराहा । कार्यक्रम का संचालन कर रहे स्मृति के अध्यक्ष तथा साहित्यकार पंकज सुबीर ने श्रोताओं के अनुरोध पर अपने गीत दर्द बेचता हूं मैं का सस्वर पाठ किया । अंत में आभार व्यक्त करते हुए हरिओम शर्मा दाऊ ने कहा कि सीहोर के लोगों ने उस शायर को गलत साबित कर दिया है जिसने कहा था कल कोई मुझको याद करे, क्यों कोई मुझको याद करे । कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर के बुद्धिजीवी, कवि, पत्रकार, साहित्यकार तथा श्रोता उपस्थित थे ।