हास्य कवि सम्मेलन आज, देश भर के दिग्गज हास्य और व्यंग्य के कवि आज सीहोर आऐंगें ओम व्यास ओम के संचालन में बहेगी हास्य और व्यंग्य की बयार


लीसा टॉकीज़ पर हर साल की तरह होने वाले हास्य कवि सम्मेलन की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं तथा शनिवार 17 नवंबर की रात को कवि सम्मेलन के मंच पर देश के दिग्गज हास्य कवियों के द्वारा हास्य व्यंग्य का जादू जगाया जाएगा । कार्यक्रम  की अध्यक्षता सीहोर नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष श्री राकेश राय करेंगें, हेंडीक्राफ्ट बोर्ड के राष्ट्रीय संचालक श्री अक्षत कासट विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगें ।  
आयोजन के संयोजक राजकुमार जायसवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि हास्य कवि सम्मेलन को लेकर व्यापक स्तर पर तैयारियां की जा रहीं है । लीसा टॉकीा के मैदान पर होने वाले  हास्य कवि सम्मेलन में आस पास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रोताओं के आने की संभवना को देखते हुए ये तैयारियां की जा रही हैं । उन्होंने बताया कि हास्य के सबसे बड़े सम्मान काका हाथरसी सम्मान से विभूषित श्री ओम व्यास ओम के संचालन में देश भर के कवि कविता पाठ करेंगें ।  श्री ओम व्यास का नाम पिछले कुछ वर्षों में हास्य के क्षेत्र में तेजी के साथ उभर कर आया है और अब संचालन के क्षेत्र में भी वे एक स्थापित नाम हैं वे अपनी चुटकियों से श्रोताओं को रात भर जागृत रखते हैं तथा कवि सम्मेलन में ऊर्जा बनाए रखते हैं । उनके अलावा वरिष्ठ कवि श्री माणिक वर्मा भी आ रहे हैं जो समूचे भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर में अपनी विशिष्ट शैली के कारण जाने जाते हैं । हिंदी के ही एक और विशिष्ट शैली के कवि श्री सांड नरसिंहपुरी भी अपनी गुदगुदाने वाली शैली में श्रोताओं को भरपूर मनोरंजन करेंगें। हिंदी व्यंग्य के कवि और पुलिस महानिरीक्षक श्री पवन जैन भी कवि सम्मेलन में आ रहे हैं । राजस्थान के कवि बलवंत बल्लू जो देश भर के मंचों पर हास्य   कवि के रूप में एक जाना पहचाना नाम हैं वे भी कवि सम्‍मेलन में पधार रहे हैं । इनके अलावा चुटीली व्यंग्योक्तियों के लिये मशहूर कवि श्री अशोक भाटी, हास्य के क्षेत्र में तेजी के साथ उभर कर सामने आ रहे कवि  दिनेश याज्ञिक और हास्य व्यंग्य के क्षेत्र में एक सशक्त हस्ताक्षर श्री संतोष इंकलाबी जैसे हास्य कवि भी इस मंच पर काव्य पाठ करेंगें । आयोजन में मोनिका भोजक कवियित्री भुज कच्छ से पधार रहीं हैं और सूत्रधार सीहोर  के ही युवा कवि पंकज सुबीर हैं । श्री जायसवाल ने बताया कि आयोजन में  शिवना प्रकाशन द्वारा प्रकाशित सीहोर के वरिष्ठ गीतकार श्री रमेश हठीला के काव्य संग्रह बंजारे गीत का विमोचन भी किया जाएगा । इस अवसर पर सीहोर और प्रदेश को गौरवान्वित करने वाली कुछ शख्सियतों का सम्मान भी मंच से किया जाएगा जिनमें विश्व हिंदी सम्मेलन न्यूयार्क में वक्ता तथा कवि  के रूप में भाग लेकर लौटे श्री पवन जैन, भारत सरकार के हेंडीक्राफ्ट बोर्ड के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त हुए श्री अक्षत कासट और बंजारे गीत के रचयिता श्री रमेश हठीला शामिल हैं । उन्होंने बताया कि पिछले वर्षों में लीसा टॉकी पर हुए कवि सम्मेलनों को भरपूर सफलता मिली है और सीहोर के कवि सम्मेलनों की गौरवशाली परंपरा को जारी रखने का कार्य इन आयोजनों द्वारा किया जा रहा है उसी कड़ी में इस बार हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन कर एक नया प्रयास किया जा रहा है, इस बार प्रयास ये किया जाएगा कि ये आयोजन दो दौर में सुबह की पहली किरण तक चले ताकि उपस्थित श्रोता देश भर से पधारे इन दिग्गज हास्य कवियों का भरपूर आनंद ले सकें   ।

क्‍या आपने दूध की नदी बहते देखी है , नहीं देखी तो आइये सीहोर जिले के बार‍हखंभा में जहां दीवाली के दूसरे दिन बहती है सचमुच दूध की नदी

आज के इस युग में जहाँ पानी की नदी ही मुश्किल से बह पा रही हो वहाँ इस बात पर विश्वास करना जरा मुश्किल लगता है कि कभी दूध की नदियाँ भी बहती थीं । लेकिन सीहोर के बारह खंबा में यह दृष्य साल में एक बार दीपावली के दूसरे दिन साकार हो उठता है ।
सीहोर से लगभग पैंतीस किलोमीटर दूर स्थित दस पंद्रह मकानों का छोटा सा गाँव देवपुरा दीपावली के दूसरे दिन जीवंत हो उठता है । कितने लोग यहाँ पहुंचते हैं  यह अनुमान लगाना तो मुश्किल है लेकिन चारों तरफ नज़र डालने पर एक जन समुद्र लहराता नज़र आता है । यहाँ पर स्थित बारह खंबा देव स्थल पर इस दिन विशाल मेला भरता है । यह मेला वास्तव में किसानों का मेला है । आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में किसान यहाँ पहुंचते हैं । यह मेला दुधारू पशुओं से जुड़ी मान्यताओं का मेला है । न केवल सीहोर जिले बल्कि आसपास के जिलों के किसान भी अपने दुधारू पशुओं के बीमार होने पर मनौती मानते हैं कि यदि पशु स्वस्थ हो गया तो वे बारह खंभा मेला में दूध तथा नारियल चढ़ाऐंगें । वे किसान वर्ष में एक बार यहाँ दीपावली के दूसरे दिन दूध तथा नारियल चढ़ाने आते हैं । कुछ किसान यहाँ दूध तथा नारियल केवल इसलिये चढ़ाने आते हैं कि उनके पशु साल भर स्वस्थ रहें । हजारों की संख्‍या में आए ये ग्रामीण उस दिन का अपने दुधारू पशुओं का पूरा दूध यहां पर चढ़ाते हैं अब आप सोच ही सकते हैं कि दूध कितना हो जाता होगा । 
मंदिर में स्थित अनगढ़ पत्थर की प्रतिमा पर जब हजारों ग्रामीण दूध तथा नारियल चढ़ाते हैं तो मंदिर के पीछे बहने वाले नाले में दूध की बाढ़ आ जाती है ये नाला ऐसा लगता है जैसे कि दूध की नदी बह रही हो और पुरानी कहावत याद आ जाती है कि भारत में दूध की नदियां बहा करती थीं । कितने लीटर दूध यहां बह जाता है ये तो कोई भी नहीं बता सकता है पर नाले में उफान मारता दूध देख कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं और ये ही लगता है कि उस देश में जहां पर कई बच्‍चे भूख के कारण मर रहे हों वहां पर ये होना कितना ठीक हे ।  और मंदिर में लग जाता है फूटे हुए नारियलों का पर्वताकार ढेर । दीपावली के दूसरे दिन आस पास के सारे गांव के ग्रामीण केवल एक ही दिशा में यात्रा करते हैं बारह खंभा की दिशा में ।  इस देव स्थल से जुड़ी कई जनश्रुतियां भी हैं। बारह खंबा के इस मेले में नज़र आता है एक विशाल जन समुद्र और दूध की उफनती हुई नदी जो इस कल्पना को साकार करती है कि कैसे प्राचीन भारत में दूध की नदियाँ बहतीं थीं ।

'' किंग कोबरा हनुमान जी की अदालत में हाजिर हो..........! ''

          '' किंगकोबरा हनुमान जी की अदालत में हाजिर हो .........! '' ऐसी कोई आवाज़ सीहोर से आठ किलोमीटर दूर स्थित लसुड़िया परिहार के मंदिर में लगती तो नहीं है ,लेकिन फिर भी यहाँ उस रोज़ हनुमान जी की अदालत में साँपों की पेशी होती है । दीपावली की पड़वाँ ( अगले दिन ) के दिन लसुड़िया परिहार के मंदिर में उन लोगों की भीड़ जुटती है जिन्हें पिछले दिनों में साँप ने काटा था तथा जिन्होनें इस मंदिर में आकर ज़हर उतरवाया था । पूर्व में यहाँ छोटा सा मंदिर था लेकिन अब यहाँ भव्य मंदिर है , साँप के काटने पर ग्रामीण लोग पीड़ित व्यक्ति को लेकर यहाँ आते हैं । यहाँ साँप का ज़हर उतर जाने के बाद एक धागा बाँध दिया जाता है , जिसे आने वाली दीपावली की पड़वां  पर यहाँ आकर खोलना होता है ।
        जब यहाँ सर्पदंश से पीड़ित लोग धागा खोलने आते हैं तो उनके शरीर में साँपों की पेशी भी होती है । ये साँप पीड़ित व्यक्ति के शरीर में आकर स्वयं बताते हैं कि उन्होंने इस व्यक्ति को क्यों काटा था। एक दिलचस्‍प बात ये होती है कि पीडि़त व्‍यक्ति का व्‍यवहार भी उस दौरान सांप की तरह का ही हो जाता है वो बाकयदा सांप की तरह लहरा कर चलता है जबान निकालता है और वैसा ही करता है जैसा कोई सापं करता है । कई दिलचस्प बातें भी होती हैं जैसे कोई बताता है कि मैं इनका पूर्वज हूँ इन्होंने मेरा ध्यान नहीं रखा इसलिये मैने काटा । कोई कहता है कि इन्होंने मेरे स्थान पर लघुशंका कर दी थी इसलिये काटा ,कोई पूँछ पर पाँव रख देने का सामान्य कारण बताता है । उस दौरान उस व्यक्ति का व्यवहार भी साँप की तरह ही हो जाता है । पीड़ित व्यक्ति के परिजन गलती की क्षमा माँगते हैं और साँप जी चले जाते हैं । पृथम दृष्टया ये बात कोरा अंधविश्वास लगती है लेकिन प्रत्यक्षदर्शी एसा नहीं मानते । दो सालों से यहाँ समाचार पत्रों तथा टी वी समाचार चैनलों के संवाददाताओं की भीड़ भी जुटने लगी है ।