एक साल पहले रेडियो के द्वारा सरकारी स्कूलों में बच्चों को अंग्रेजी सिखाने का प्रयास की शुरूआत की गई थी हालंकि उस समय तो इसको गंभीरता से नहीं लिये गया था पर आज उसके परिणाम सामने आने लगे हैं । मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के स्वामी विवेकानंद स्कूल में सुबह दस बजे छात्रों के समूह को रेडियो के सामने बिठाकर उनको अंग्रेजी सीखने का प्रोग्राम सुनाया जाता है उसी समय ये बच्चे रेडियो पर बोले गए वाक्यों को साथ में दोहराते हैं और कार्यक्रम खत्म होने के बाद सीखे गए वाक्यों को दोहराते हैं । इस अभ्यास से बच्चों को काफी फायदा मिल रहा है और अब ये बच्चे अंग्रेजी में दक्ष होते जा रहे हैं । अब ये बच्चे अंग्रेजी के वाक्यों को बहुत अच्छी तरह से बोल लेते हैं । विवेकानंद स्कूल के टीचर बताते हैं कि रेडियो को सुनते सुनते ये बच्चे आसानी से अंग्रेजी सीख रहे हैं और ये प्रोग्राम भी इतना मनोरंजक होता है । कि बच्चे इसे कभी भी छोड़ना नहीं चाहते हैं । वहीं बच्चों को कहना है कि रेडियो प्रोग्राम सुनते हुए सीखना उनको अच्छा लगता है उसमें ना तो डांट होती हे और नही कुछ कठिन शब्द होते हैं । पिछले साल चालू की गई इस योजना को अभी तो कक्षा छ: से शुरू किया जाता है पर आने वाले साल में इसको कक्षा पहली से ही प्रारंभ किया जाएगा । कक्षाओं का दृष्य बड़ा मज़ेदार होात है कक्षा टीचर की टेबल पर रेडियो मास्टर साहब को बिठाया जाता है और कक्षा टीचर पीछे खड़े होते हैं और फिर चालू होती है रेडियो गुरूजी की कक्षा । अच्छा प्रयोग है पर ये तो बड़ी मुश्किल है कि आने वाले टीचर्स डे पर ये बच्चे किसको फूल भेंट करेंगें टीचर को या रेडियो को ।
भारत के प्रधानमंत्री का नाम बाबूलाल गौर है
चौंकिये मत ये एक बात ही वो हें जो देश में शिक्षा के नाम पर करोंड़ों के खर्चे की सारी कलई खोल कर रख देती है । और इससे ही पता चलता है कि वास्तव में हम तो जहां से चले थे वहीं पर खड़े हैं और बड़े बड़े अभियानों से कुछ भी नहीं बदल पाया है ।
दरअसल में ये बात कही है एक स्कूली छात्र ने जिसको शिक्षा विभाग ने बड़े शान का साथ प्रश्न पूछने के लिये कलेक्टर के सामने प्रस्तुत किया था । मध्यप्रदेश सरकार द्वारा कलेक्टरों के गांव में रात्रि विश्राम की योजना चलाई जा रही है और इसके तहत ही प्रदेश के सीहोर जिले के कलेक्टर ग्राम कठोटिया में रात्रि विश्राम के लिये पहुंचे । वहां पहुंचनें के बाद उन्होंनें ग्राम वासियों की समस्याओं की जानकारी ली और उसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों के कलेक्टर के सामने प्रस्तुत कर दिया । कलेक्टर राघवेंद्र सिंह ने उनसे समान्य ज्ञान के प्रश्न पूछने प्रारंभ कर दिये और बहुत ही शीघ्र जिला शिक्षा अधिकारी को लग गया कि उन्होंने एक बड़ी ग़लती कर दी है क्योंकि बच्चे बहुत ही मजेदार उत्तर दे रहे थे । कलेक्टर ने पूछा कि बच्चों बताओं गंगा कहां से निकलती है बच्चों ने कुछ देर सोचा और फिर उत्तर दिया ' सर गंगा नदी में से निकलती है '' । संभवत: बच्चे गंगा का मतलब किसी लड़की या महिला से समझे होंगें जिसको उन्होंने नदी में से निकलते देखा होगा । सबसे मज़ेदार उत्तर कलेक्टर को मिला इस प्रश्न पर कि बताओं भारत का प्रधानमंत्री कौन है । बच्चों ने तपाक से उत्तर दिया '' बाबूलाल गौर'' । कलेक्टर और शिक्षा अधिकारी सब उत्तर से हतप्रभ रह गए । और तुरंत ही शिक्षक पर कार्यवाही करने के निर्देश जारी कर दिये गए । मगर बात तो वहीं पर है कि आखिर करोड़ों फूंकने के बाद भी अगर बच्चों को ये ही पता है कि भारत का प्रधानमंत्री बाबूलाल गौर हैं तो फिर मतलब क्या है ऐसे शिक्षा अभियानों का ।