भारत के प्रधानमंत्री का नाम बाबूलाल गौर है

चौंकिये मत ये एक बात ही वो हें जो देश में शिक्षा के नाम पर करोंड़ों के खर्चे की सारी कलई खोल कर रख देती  है । और इससे ही पता चलता है कि वास्‍तव में हम तो जहां से चले थे वहीं पर खड़े हैं और बड़े बड़े अभियानों से कुछ भी नहीं बदल पाया है ।
दरअसल में ये बात कही है एक स्‍कूली छात्र ने जिसको शिक्षा विभाग ने बड़े शान का साथ प्रश्‍न पूछने के लिये कलेक्‍टर के सामने प्रस्‍तुत किया था ।  मध्‍यप्रदेश सरकार द्वारा कलेक्‍टरों के गांव में रात्रि विश्राम की योजना चलाई जा रही है और इसके तहत ही प्रदेश के सीहोर जिले के कलेक्‍टर ग्राम कठोटिया में रात्रि विश्राम के लिये पहुंचे । वहां पहुंचनें के बाद उन्‍होंनें ग्राम वासियों की समस्‍याओं की जानकारी ली और उसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने सरकारी स्‍कूलों के विद्यार्थियों के कलेक्‍टर के सामने प्रस्‍तुत कर दिया । कलेक्‍टर राघवेंद्र सिंह ने उनसे समान्‍य ज्ञान के प्रश्‍न पूछने प्रारंभ कर दिये और बहुत ही शीघ्र जिला शिक्षा अधिकारी को लग गया कि उन्‍होंने एक बड़ी ग़लती कर दी है क्‍योंकि बच्‍चे बहुत ही मजेदार उत्‍तर दे रहे थे । कलेक्‍टर ने पूछा कि बच्‍चों बताओं गंगा कहां से निकलती है बच्‍चों ने कुछ देर सोचा और फिर उत्‍तर दिया ' सर गंगा नदी में से निकलती है '' । संभवत: बच्‍चे गंगा का मतलब किसी लड़की या महिला से समझे होंगें जिसको उन्‍होंने नदी में से निकलते देखा होगा । सबसे मज़ेदार उत्‍तर कलेक्‍टर को मिला इस प्रश्‍न पर कि बताओं भारत का प्रधानमंत्री कौन है । बच्‍चों ने तपाक से उत्‍तर दिया '' बाबूलाल गौर'' । कलेक्‍टर और शिक्षा अधिकारी सब उत्‍तर से हतप्रभ रह गए । और तुरंत ही शिक्षक पर कार्यवाही करने के निर्देश जारी कर दिये गए । मगर बात तो  वहीं पर है कि आखिर करोड़ों फूंकने के बाद भी अगर बच्‍चों को ये ही पता है कि भारत का प्रधानमंत्री बाबूलाल गौर हैं तो फिर मतलब क्‍या है ऐसे शिक्षा अभियानों का ।

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