सीहोर शहर की अग्रणी साहित्यिक प्रकाशन संस्था शिवना प्रकाशन ने सुकवि मोहन राय की प्रथम पुण्य तिथि पर गीतांजली समारोह का आयोजन कर उनको अपनी श्रध्दांजलि अर्पित की । इस अवसर पर शिक्षाविद् प्रो. डॉ. भागचन्द जी जैन को शिवना सारस्वत सम्मान से समादृत किया गया ।
सुकवि मोहन राय की प्रथम पुण्यतिथि पर शहर के साहित्यकारों तथा बुध्दिजीवियों ने शिवना प्रकाशन के आयोजन में उनको अपनी श्रध्दांजलि अर्पित की । कार्यक्रम का अध्यक्षता पूर्व विधायक श्री शंकरलाल जी साबू ने की जबकि मुख्य अतिथि के रूप में मुम्बई से पधारे श्री केशव राय उपस्थित थे । विशेष अतिथि के रूप में सारणी से पधारे गीतकार श्री सजल मालवीय और सहकारी बैंक के प्रबंधक श्री अजय चंगी उपस्थित थे तथा कार्यक्रम के सूत्रधार शिवना प्रकाशन के प्रकाशक पंकज सुबीर थे । कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों ने तथा मां सरस्वती तथा सुकवि श्री राय के चित्र पर माल्यर्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया । युवा कवि जोरावर सिंह ने मां सरस्वती की वंदना का सस्वर पाठ किया । शिवना की ओर से डॉ. कैलाश गुरू स्वामी, बृजेश शर्मा, अनिल राय ने पुष्प हारों से तथा ओम राय ने बैज लगाकर अतिथियों का स्वागत किया । वरिष्ठ कवि श्री रमेश हठीला तथा हरीओम शर्मा दाऊ ने स्व. श्री राय के गीतों का सस्वर पाठ करे उनको गीतांजलि अर्पित की। तत्पश्चात शिवना प्रकाशन की ओर से दिया जाने वाला सुकवि मोहन राय स्मृति शिवना सारस्वत सम्मान कन्या महा विद्यालय के प्राचार्य तथा शहर के वरिष्ठ शिक्षाविद् प्रो. डॉ. भागचन्द जी जैन को दिया गया । अतिथियों ने शाल श्रीफल तथा सम्मान पत्र भेंट कर श्री जैन को ये सम्मान प्रदान किया । इस अवसर पर बोलते हुए श्री केशव राय ने कहा कि धन्यवाद के पात्र होते हैं वे लोग जो किसी साहित्यकार को उसके जाने के बाद भी इतनी शिद्दत के साथ याद करते हैं । प्रो. डॉ. भागचन्द जैन ने सीहोर के साथ अपने अट्ठाईस साल पुराने रिश्तों का जिक्र करते हुए कहा कि इतने वर्षों में इस शहर ने मुझे इतना कुछ दिया है कि मुझे कभी भी अपने गृह नगर सागर लौट कर वापस जाने का विचार भी नहीं आया । उन्होंने सीहोर की साहित्यिक चेतना की भी प्रशंसा की । कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्व विधायक श्री शंकरलाल साबू ने कहा कि मोहन राय के साथ पूरे शहर के लोगों को नेह का नाता था सभी के साथ उनके आत्मीय संबंध थे । सुकवि मोहन राय अपनी कविताओं अपने साहित्य के कारण हमेशा हमारे दिलों में रहेंगें वे कभी हमसे जुदा नहीं हो पाएंगें । सजल राय ने मोहन राय को गीतों का राजकुमार निरूपित करते हुए उनको गीतों के माध्यम से अपनी श्रध्दांजलि अर्पित की । अंत में आभार व्यक्त करते हुए डॉ. मोहम्मद आजम ने सभी को आभार व्यक्त किया । कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर के पत्रकार, साहित्यकार, सुधि श्रोता उपस्थित थे ।
1 comments:
kisi kavi ko is se achchhi shraddhanjali kya di ja sakti hai..?
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