बहुत दिनों से मैं सोच रहा था कि कोई तो ऐसा कार्यक्रम आए जो इन एकता कपूर के धारावाहिकों से मुक्ति दिलवाए । कहते हैं कि ईश्वर से सच्चे दिल से जो कुछ भी मांगों वो मिल जाता है और हुआ भी आखिरकार आईपीएल के रोमांच के आगे एकता कपूर के लिजलिजे पात्रों ने दम तोड़ ही दिया और आई पी एल ने अपने आप को स्थापित कर लिये हालंकि ये कुछ ही दिन के लिये हुआ हे पर मैं तो अपनी कह रहा हूं कि मेरे घर में ऐसा शायद कई सालों बाद हो रहा है कि महिलाएं अब कुछ घर के काम पर भी रात के समय ध्यान दे रहीं हैं । अब रात को मुझे गर्म खाना मिलने लगा है । मनुहार कर कर के खाना खिलाया जा रहा है कि एक तो और लो कितने दुबले हो गए हो । ऐसा इसलिये क्योंकि टीवी पर बच्चों ने कब्जा कर लिया है । पहले तो ये होता था कि आखिरकार बच्चे हार जाते थे पर इस आई पी एल ने तो खेल ही बदल दिया है । एक तो ये कि बच्चों की छुट्टियां चल रहीं हैं और दूसरे आईपीएल का रोमांच दोनों ने एकता कपूर की तुलसी पार्वती और अजीब अजीब सी शक्लों वाली खलनायिकाओं की धुलाई कर दी है । कभी तो होना ही था तो अब हो गया है । अब कुछ लोग कह रहे हैं कि ये तो तात्कालिक रूप से हो रहा है आईपीएल जाने के बाद क्या होगा । तो मेरा कहना ये है कि ठीक है ये तात्कालिक रूप से हो रहा है पर हुआ तो है । और एक बात जो मुझे अच्छी लग रही है इन मैचों में वो ये कि टेंशन नहीं है केवल उल्लास है । पहले मैंचों को देखने में भारत के हार जाने का टेंशन ( जो अक्सर होता भी था ) लगा रहता का पर अब तो कोई नृप होए हमें क्या हानि वाली बात है । अपन तो देखते रहो । कोई भी जीते या हारे अपने को क्या फर्क पड़ता है । मतलब ये कि दिन भर आफिस में सर खपाने के बाद जब घर लौटो तो तुलसी का और पार्वती का टेंशन या फिर ये कि आखिरकार ये पत्नी है किसकी अनुराग बसु की या मिसटर बजाज की । और फिर ये कि आखिरकार ये जो बच्चा है ये है किसका पार्वती और ओम का या पार्वती और उसके दूसरे पति का या ओम और उसकी दूसरी पत्नी का । मुझे तो कभी कभी लगता है कि एकता कपूर के बारे में भी ..................... । खैर और उस पर ये कि वो कौन सी दवा है जिसको खाने के बाद पार्वती जब बीस साल बाद लौटती है तो पहले से ज्यादा जवान हो जाती है ( ये सब बातें उन अनुभवों के आधार पर कह रहा हूं जो खाना खाने के दौरान सामने चल रहे टीवी को जबरन देखने के दौरान मिले हैं ।) एक बात बता दूं मैं अपने समय में अपने शहर की क्रिकेट टीम का कप्तान रह चुका हूं और क्रिकेट का दीवाना रहा हूं पर काफी समय से क्रिकेट देखना बंद कर दिया था कारण ये था कि मैं भारत को हारते हुए देख नहीं पाता था । दूसरे ये कि पूरा दिन भर अब क्रिकेट पर खराब करने की उम्र भी नहीं रही । इसीलिये मैं इस 20;20 का समर्थक हुं जितना समय एक फिल्म देखने में लगता है उतना समय क्रिकेट में लगाओ और निकल लो । और आईपीएल तो इसलिये भी अच्छी है क्योंकि वहां पर तो केवल खेल देखना है जीत हार का तो कोई टेंशन ही नहीं है । और एक बात ये भी कि अलग अलग देशों के खिलाड़ी जब एक ही टीम में खेलेंगे तो मैत्री की भावना मजबूत होगी ही । खैर मैं प्रसन्न हूं और एकता कपूर की इस पहली हार पर दिल से प्रसन्न हूं । अंत में एक बात सच बताइये जब आप दिन भर के थके हारे घर लौटते हैं तो क्या चाहते हैं यही ना कि कुछ ऐसा देखें जो दिन भर के तनाव को दूर कर दे और उसमें सब आता है आपके बच्चों की मुस्कुराहट भी कोई अच्छी हास्य फिल्म भी और आईपीएल भी, मगर एकता कपूर ना बाबा ना ..............।
आइए आज तरही मुशायरे को आगे बढ़ाते हैं मन्सूर अली हाश्मी जी के साथ, जो अपनी
दूसरी ग़ज़ल लेकर हमारे बीच उपस्थित हुए हैं
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1 week ago
5 comments:
वाह जी! आपकी हिम्मत की दाद देना होगी. दिनभर काम करने के बाद शाम को तुलसी पार्वती और बजाज को भी झेल लेते हैं. मैंने तो त्रस्त होकर ऑफिस का टाइम ही बदल डाला ११ बजे बाद ही घर में घुसता हूँ.
बढ़िया लिखा है .....सारे एकता पीडितों की और से बधाई :)
एक बधाई मेरी तरफ़ से भी..
वैसे मुझे ज्यादा दिक्कत नही होती थी जब मैं घर पर था तब.. क्योंकि मुझे टीवी से कोई मतलब ही नही होता था.. अब कुछ भी चले.. बस एक दिक्कत थी की मैं घर जाता था तब रात में मम्मी से ज्यादा बातें नही हो पति थी.. :)
पंकज जी
हैरान हूँ की आप की और मेरी रुचियाँ कितनी मिलती हैं..आप ग़ज़ल के मास्टर हैं और मैं सीख रहा हूँ लेकिन क्षेत्र एक ही है.....आप क्रिकेट के शौकीन हैं और मैं अभी तक कोलोनी के ग्राउंड पर रोज़ सुबह खेलता हूँ, और एकता कपूर से आपकी जो नाराजी है वो मुझे भी है लेकिन आप से थोडी जयादा. २०-२० देखने में आजकल शाम और रात बहुत सुकून से निकल जाती है वक्त का पता भी नहीं चलता. कोई हारे या जीते इस से दिल अधिक नहीं दुखता. एकता कपूर न घर में पहले देखी जाती थी और न आज, ये एक विषय है जिस पर हमारे सारे घर वालों में बड़ी एकता है ...:)
नीरज
आप तो गरमा गरम खा रहे हैं और उधर, एकता के यहाँ आई पी एल के कारण फाका पड़ा है. आज भी बेचारी भूखी ही सोई होगी. बड़ी दया आती है. :)
आप हिन्दी में लिखते हैं. अच्छा लगता है. मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं इस निवेदन के साथ कि नये लोगों को जोड़ें, पुरानों को प्रोत्साहित करें-यही हिन्दी चिट्ठाजगत की सच्ची सेवा है.
एक नया हिन्दी चिट्ठा किसी नये व्यक्ति से भी शुरु करवायें और हिन्दी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें.
शुभकामनाऐं.
-समीर लाल
(उड़न तश्तरी)
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