मित्रों, संरक्षक तथा सलाहकार संपादक सुधा ओम ढींगरा Sudha Om Dhingra प्रबंध संपादक नीरज गोस्वामी Neeraj Goswamy , संपादक पंकज सुबीर, कार्यकारी संपादक- शहरयार Shaharyar तथा सह संपादक पारुल सिंह Parul Singh के संपादन में शिवना साहित्यिकी का जुलाई-सितम्बर 2017 अंक अब ऑनलाइन उपलब्धl है। इस अंक में शामिल है संपादकीय, शहरयार Shaharyar । व्यंग्य चित्र -काजल कुमार Kajal Kumar । आवरण कविता - शमशेर बहादुर सिंह, आवरण चित्र के बारे में....- विस्मय / पल्लवी त्रिवेदी Pallavi Trivedi , उपन्यास अंश- पागलखाना / डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी Gyan Chaturvedi , संस्मरण आख्यान- होता है शबोरोज़ तमाशा मिरे आगे, सुशील सिद्धार्थ Sushil Siddharth , कथा-एकाग्र- नीलाक्षी फुकन Nilakshi Phukan कहानी विखंडन Ajay Navaria , अनीता सक्सेना Anita Saxena कहानी Mehrunnisa Parvez , पुस्तक चर्चा- हँसी की चीखें / कांता राय Kanta Roy Santosh Supekar , एक वह कोना / गोविंद भारद्वाज Govind Bhardwaj Govind Sharma , पहाड़ पर धूप / यादवेंद्र शर्मा Murari Sharma , फिल्म समीक्षा के बहाने- हिन्दी मीडियम, माम, वीरेन्द्र जैन Virendra Jain , बातें-मुलाक़ातें- कृष्णा अग्निहोत्री Krishna Agnihotri , ज्योति जैन Jyoti Jain , रंगमंच- आर्यभट्ट और नाटक ‘अन्वेषक’, प्रज्ञा Pragya Rohini , पेपर से पर्दे तक- कृष्णकांत पंड्या Krishna Kant Pandya, पुस्तक-आलोचन- यादों के गलियारे से / कैलाश मण्डलेकर Kailash Mandlekar , समीक्षा, वंदना गुप्ता Vandana Gupta Maitreyi Pushpa / वो सफ़र था कि मुकाम था, शिखा वार्ष्णेय Shikha Varshney Aruna Sabharwal / उडारी, डॉ. ज्योति गोगिया @jyoti gogiya Sudha Om Dhingra / धूप से रूठी चाँदनी, योगिता यादव Yogita Yadav Shashi Padha / लौट आया मधुमास, शरद सिंह Sharad Singh@manohar agnani / अंदर का स्कूल, तरही मुशायरा Digamber Naswa Nusrat Mehdi @mahesh khalish Saurabh Pandey Nirmal Sidhu Girish Pankaj Tilak Raj Kapoor @sudhir tyagi @vasudeo agrwal Rakesh Khandelwal , आवरण चित्र- पल्लवी त्रिवेदी Pallavi trivedi photography photography - डिज़ायनिंग-सनी गोस्वामी Sunny Goswami । आपकी प्रतिक्रियाओं का संपादक मंडल को इंतज़ार रहेगा। पत्रिका का प्रिंट संस्करण भी समय पर आपके हाथों में होगा।
ऑन लाइन पढ़ें-
https://www.slideshare.net/shivnaprakashan/shivna-sahityiki-july-september-2017
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1 comments:
मै हमेशा यह कहते आया हूँ की क्ले को गर्मियों में इकठा कर पाउडर बना कर उसके सीड बाल बना लेना चाहिए। किन्तु अनेक लोगों को क्ले मिलने और पहचानने में तकलीफ हो रही है इसलिए मेने सलाह दी है की खेत की मेड की मिट्टी जो अनेक सालो से जुताई से बची है जिसमे केंचुओं के घर रहते हैं को बरसात में ले आएं और उनकी सीड बाल बनाकर बुआई कर ली जाये.
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