मित्रों, संरक्षक एवं सलाहकार संपादक, सुधा ओम ढींगरा Sudha Om Dhingra , प्रबंध संपादक नीरज गोस्वामी Neeraj Goswamy , संपादक पंकज सुबीर Pankaj Subeer कार्यकारी संपादक, शहरयार Shaharyar , सह संपादक पारुल सिंह Parul Singh के संपादन में शिवना साहित्यिकी का अक्टूबर-दिसम्बर 2017 अंक अब ऑनलाइन उपलब्धl है। इस अंक में शामिल है- आवरण कविता जीवन भर का उजाला / सुरजन परोही , संपादकीय / शहरयार, व्यंग्य चित्र / काजल कुमार Kajal Kumar , आलोचना आलोचना में संप्रेषण का प्रश्न, पंकज पराशर Pankaj Parashar , संस्मरण आख्यान होता है शबोरोज़ तमाशा मिरे आगे, सुशील सिद्धार्थ Sushil Siddharth , विमर्श स्वातंत्र्योत्तर आदिवासी काव्य में समाज और संस्कृति / रजनी मल्होत्रा Rajni Nayyar Malhotra , संस्मरण इन्डियन फ़िल्में और लड़कियाँ सबूहा ख़ान Zeba Alavi , फिल्म समीक्षा के बहाने लिपिस्टिक अन्डर माई बुरका, न्यूटन वीरेन्द्र जैन Virendra Jain , पुस्तक-आलोचना महेश दर्पण Mahesh Darpan / चुनी हुई कहानियाँ : सूर्यबाला Suryabala Lal / सूर्यबाला, नई पुस्तक कल्चर वल्चर / ममता कालिया Mamta Kalia , प्रकाश कांत Prakash Kant / अपने हिस्से का आकाश, खिड़की खुलने के बाद / @नीलेश रघुवंशी Neelesh Raghuwanshi , असंभव से संभव की ओर / तरुण पिथोड़े Tarun Pithode रंगमंच प्रज्ञा Pragya Rohini / प्रेम जनमेजय के दो व्यंग्य नाटक / डॉ. प्रेम जनमेजय, पुस्तक चर्चा फ़ारुक़ आफ़रीदी Farooq Afridy Jaipur / विलायती राम पांडेय / लालित्य ललित Lalitya Lalit , @महावीर रवांल्टा / पथ का चुनाव / कांता राय Kanta Roy , डॉ. रेशमी पांडा मुखर्जी Reshmi Panda Mukherjee / अस्थायी चार दीवारी / वाणी दवे @vani dave , समीक्षा डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी Gyan Chaturvedi / सच कुछ और था / सुधा ओम ढींगरा Sudha Om Dhingra , शैलेन्द्र अस्थाना Shailendra Asthana / विघटन / जयनंदन Jai Nandan , प्रदीप कान्त / सजदे में आकाश / कुमार विनोद @kumar vinod , शशि कुमार पांडेय @shashi kumar pandey / फ़ेक एनकाउंटर / डॉ. मुकेश कुमार Mukesh Kumar , सुरजीत सिंह @surjeet singh / बुरी औरत हूँ मैं / वंदना गुप्ता Vandana Gupta , सौरभ पाण्डेय Saurabh Pandey / थोड़ा लिखा समझना ज़्यादा / जय चक्रवर्ती Jai Chakrawarti , पारुल सिंह Parul Singh / चौपड़े की चुड़ैलें / पंकज सुबीर Pankaj Subeer , फ़िल्म-आलोचना पार्टीशन : 1947 - तथ्यात्मक भ्रांतियों के बीच मानवीय संवेदनशीलता प्रमोद मीणा Pramod Meena । आवरण चित्र राजेंद्र शर्मा बब्बल गुरु Babbal Guru डिज़ायनिंग सनी गोस्वामी Sunny Goswami ,
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