मित्रों, संरक्षक एवं सलाहकार संपादक, सुधा ओम ढींगरा, प्रबंध संपादक नीरज गोस्वामी, संपादक पंकज सुबीर, कार्यकारी संपादक, शहरयार, सह संपादक शैलेन्द्र शरण, पारुल सिंह आकाश माथुर के संपादन में शोध, समीक्षा तथा आलोचना की अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका शिवना साहित्यिकी का वर्ष : 6, अंक : 22 , त्रैमासिक : अक्टूबर-दिसम्बर अंक अब उपलब्ध है। इस अंक में शामिल हैं- आवरण कविताएँ / गोरख पांडेय, आवरण चित्र / पंकज सुबीर, संपादकीय / शहरयार। व्यंग्य चित्र / काजल कुमार। पुस्तक समीक्षा- रज्जो मिस्त्री, राजेंद्र सिंह चूला / प्रज्ञा, मगर, शेक्सपीयर को याद रखना- रमेश दवे / संतोष चौबे, अम्लघात- प्रो.अवध किशोर प्रसाद / सुधा ओम ढींगरा, थोड़ा-सा खुला आसमान- उमाशंकर सिंह परमार / डॉ. रामकठिन सिंह, धूप के लिए शुक्रिया का गीत तथा अन्य कविताएँ- डॉ. नीलोत्पल रमेश / मिथिलेश कुमार राय, वैश्विक प्रेम कहानियाँ- प्रो.अवध किशोर प्रसाद / सुधा ओम ढींगरा, मैं फूलमती और हिजड़े- रमेश शर्मा / उर्मिला शुक्ल, बंटी, बबली और बाबूजी का बटुआ- सुरेश उपाध्याय / दीपक गिरकर, कैराली मसाज पार्लर- डॉ. उमा मेहता / अर्चना पैन्यूली, मध्यरात्रि प्रलाप- शैलेन्द्र चौहान / कैलाश मनहर, एस फॉर सिद्धि- मेधा झा / संदीप तोमर, इसी से बचा जीवन- डॉ. नीलोत्पल रमेश / राकेशरेणु, बहुत दूर गुलमोहर- डॉ. उपमा शर्मा / शोभा रस्तोगी, विवस्त्र तथा अन्य कहानियाँ- श्रीनाथ / प्रताप दीक्षित, हमारे गाँव में हमारा क्या है- डॉ.रामनिवास / अमित धर्मसिंह, कविता फिर भी मुस्कुराएगी- डॉ. नीलोत्पल रमेश / भारत यायावर, खारा पानी- नीरज नीर / आशा पाण्डेय, उफ्फ! ये एप के झमेले- नवीन कुमार जैन / अरुण अर्णव खरे, सिलवटें- सरोजिनी नौटियाल / विकेश निझावन, साक्षात व्यंग्यकार- ब्रजेश कानूनगो / डॉ. पिलकेन्द्र अरोरा, शह और मात- गोविंद सेन / मंजुश्री, टूटेंगे दर्प शिलाओं के- डॉ. राम ग़रीब पाण्डेय विकल / डॉ. मनोहर अभय, मेरी चुनिन्दा कहानियाँ- मनोज कुमार / अशोक गुजराती, वसंत के हरकारे - कवि शैलेन्द्र चौहान- शिखर जैन / सुरेंद्र सिंह कुशवाह, सफ़र में धूप बहुत थी- शैलेन्द्र शरण / ज्योति ठाकुर, एक देश बारह दुनिया- ब्रजेश राजपूत / शिरीष खरे, हक़ीक़त के बीच दरार- मनीष वैद्य / ली मिन-युंग / देवेश पथ सरिया, त्रासदी का बादशाह- रमेश बत्तरा- डॉ. गीता डोगरा / प्रेम जनमेजय, तरसेम गुजराल, पेड़ की पोशाक- रमेश शर्मा / डॉ. अंजुमन आरा, वक्त का अजायबघर- ब्रजेश कानूनगो / निर्मल गुप्त, कथा समय- खेमकरण 'सोमन' / अशोक भाटिया, यांरा से वॉलोंगॉन्ग- दीपक गिरकर / शेर सिंह। केंद्र में पुस्तक- दृश्य से अदृश्य का सफ़र- प्रकाश कांत, उर्मिला शिरीष, मनीष वैद्य, रश्मि दुधे, सुधा ओम ढींगरा। नई पुस्तक - नर्मदा के पथिक- ओमप्रकाश शर्मा, हे राम...! - महेश कटारे, एक टुकड़ा आसमान- विनोद कुशवाहा, दुष्यंत कुमार की ग़ज़लों का रचना विधान- मिथिलेश वामनकर, एक थी मैना, एक था कुम्हार- हरि भटनागर। शोध आलेख- राजनीति और नागार्जुन की कविता- डॉ. नूरजहाँ परवीन। डिज़ायनिंग सनी गोस्वामी, सुनील पेरवाल, शिवम गोस्वामी। आपकी प्रतिक्रियाओं का संपादक मंडल को इंतज़ार रहेगा। पत्रिका का प्रिंट संस्करण भी समय पर आपके हाथों में होगा।
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आइए आज तरही मुशायरे को आगे बढ़ाते हैं मन्सूर अली हाश्मी जी के साथ, जो अपनी
दूसरी ग़ज़ल लेकर हमारे बीच उपस्थित हुए हैं
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*बस अब दीपावली का पर्व बीत रहा है। कल देव प्रबोधिनी एकादशी है जिसके साथ ही
आंशिक रूप से दीपावली का पर्व समाप्त हो जाता है। कहीं-कहीं यह कार्तिक
पूर्णिमा त...
2 weeks ago
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