मित्रों, संरक्षक एवं सलाहकार संपादक, सुधा ओम ढींगरा, प्रबंध संपादक नीरज गोस्वामी, संपादक पंकज सुबीर, कार्यकारी संपादक, शहरयार, सह संपादक शैलेन्द्र शरण, पारुल सिंह, आकाश माथुर के संपादन में शोध, समीक्षा तथा आलोचना की अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका शिवना साहित्यिकी का वर्ष : 7, अंक : 25, त्रैमासिक : अप्रैल-जून 2022 अंक अब उपलब्ध है। इस अंक में शामिल हैं- आवरण कविता / एकांत श्रीवास्तव, आवरण चित्र / पंकज सुबीर, संपादकीय / शहरयार, व्यंग्य चित्र / काजल कुमार, पुस्तक समीक्षा- जातीय अस्मिता के प्रश्न और जयशंकर प्रसाद, दिनेश कुमार / विजय बहादुर सिंह, रज्जो मिस्त्री- दीपक गिरकर / प्रज्ञा, कुछ नीति कुछ राजनीति- कैलाश मण्डलेकर / भवानी प्रसाद मिश्र, कमर मेवाड़ी: रचना-संचयन- प्रो. मलय पानेरी / संपादक : माधव नागदा, अरविंद की चुनिंदा कहानियाँ- डॉ. रमाकांत शर्मा / डॉ. माधव सक्सेना 'अरविंद', नई शुरुआत- डॉ. डी एम मिश्र / कौशल किशोर, साहित्यिक परंपरा एवं आस्वाद- शैलेन्द्र शरण / गोविन्द गुंजन, खिड़कियों से झाँकती आँखें- बी. एल. आच्छा / सुधा ओम ढींगरा, सूखे पत्तों पर चलते हुए- अरुण सातले / शैलेन्द्र शरण, पूछ रहा है यक्ष- गोविंद सेन / हरेराम समीप, लिखती हूँ ज़िंदगी तुझे- नीरज नीर / डॉ. माया प्रसाद, तितली है ख़ामोश- डॉ. रामनिवास 'मानव' / सत्यवान सौरभ, लिफाफे में कविता- दीपक गिरकर / अरविंद तिवारी, द सिंधिया लीगेसी- ब्रजेश राजपूत / अभिलाष खांडेकर, कुछ इधर ज़िंदगी, कुछ उधर ज़िंदगी- कुमार सुशान्त / गीताश्री, उस तरह की औरतें- संजीव त्रिपाठी / डॉ. रंजना जायसवाल, आसमाँ और भी थे- दीपक गिरकर / गजेन्द्र सिंह वर्धमान, ज़रा-सी बात पर- डॉ. रोहिताश्व अस्थाना / अशोक अंजुम, रॉकी अहमद सिंह- रीता कौशल / संजीव जायसवाल 'संजय', द बैटल अगेंस्ट कोविड डायरी ऑफ ए ब्यूरोक्रेट- ब्रजेश राजपूत / तरुण पिथोड़े, जेब में भर कर सपने सारे- निधि प्रितेश जैन / ज्योति जैन, उत्तर प्रदेश चुनाव 2022- ब्रजेश राजपूत / प्रदीप श्रीवास्तव, केंद्र में पुस्तक- दृश्य से अदृश्य का सफ़र- रेखा भाटिया, अशोक प्रियदर्शी, प्रमोद त्रिवेदी] सुधा ओम ढींगरा, हमेशा देर कर देता हूँ मैं- डा. रमाकांत शर्मा, सूर्यकांत नागर, डॉ. जसविंदर कौर बिन्द्रा, पंकज सुबीर, नई पुस्तक- डीजे पे मोर नाचा- कमलेश पाण्डेय, देखा सा मंज़र- गोविंद सेन, क़लम कैमरे की आँख की तरह- प्रतावराव कदम, रानी कमलापति- बलराम धाकड़, प्राउड कन्विक्ट्स ऑफ़ लव- पंकज सुबीर, रचना त्यागी, रॉकिंग चेयर- अरुणा सब्बरवाल, विमर्श- जिन्हें जुर्म-ए-इश्क़ पे नाज़ था- सुधा ओम ढींगरा, धापू पनाला- कैलाश मण्डलेकर, काला सोना- रेनू यादव, तलाश ख़त्म हुई- प्रमोद देवगिरिकर, शोध आलेख- मधु कांकरिया के उपन्यासों एवं कहानियों में आदिवासी जीवन, मुनेन्द्र भाटी, मुस्लिम उपन्यासकारों के उपन्यासों में आस्था और विचार दर्शन- डॉ. मोहम्मद फ़ीरोज़ खान, टॉरनेडो में किशोर बालिका का मनोविश्लेषण- रेनू यादव, दिलीप तेतरवे के व्यंग्य आलेखों में आम और ख़ास आदमी- डॉ. नूरजहाँ परवीन, प्रवासी हिन्दी कहानी और अप्रवासी मन की उलझन- डॉ. रौबी फौजदार, डिज़ायनिंग सनी गोस्वामी, सुनील पेरवाल, शिवम गोस्वामी। आपकी प्रतिक्रियाओं का संपादक मंडल को इंतज़ार रहेगा। पत्रिका का प्रिंट संस्करण भी समय पर आपके हाथों में होगा।
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आइए आज तरही मुशायरे को आगे बढ़ाते हैं मन्सूर अली हाश्मी जी के साथ, जो अपनी
दूसरी ग़ज़ल लेकर हमारे बीच उपस्थित हुए हैं
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*बस अब दीपावली का पर्व बीत रहा है। कल देव प्रबोधिनी एकादशी है जिसके साथ ही
आंशिक रूप से दीपावली का पर्व समाप्त हो जाता है। कहीं-कहीं यह कार्तिक
पूर्णिमा त...
2 weeks ago
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