सजीव जी ने जो कार्य किया है वह अद्भुत है उसके लिये मैं प्रशंसा में कुछ भी नहीं कह सकता बस ये ही कह सकता हूं कि एक बार वहां ज़रूर जायें और अपनी टिप्पणी ज़रूर छोड़ें । आपकी कही हुई बात सजीव जी के लिये पारीश्रमिक होगी एक ऐसे काम का जिसकी कोई कीमत ही नहीं लगाई जा सकती है । आप भी http://podcast.hindyugm.com/2008/10/andheri-raat-ka-sooraj-vimochan-online.html यहां ज़रूर जायें और अपने हाथों से विमोचन करें राकेश जी की पुस्तक का ।
होली के मिसरे की बहुत ही प्रचलित बहर है और गायी जाने वाली बहर है तो इस पर
काम करने में आप लोगों को कोई परेशानी नहीं आयेगी।
-
ब्लॉगिंग का सुनहरा समय तो अब लगभग बीत चुका है, मगर यादें कब पीछा छोड़ती
हैं। कुछ न कुछ ऐसा होता है जिसके कारण बस फिर से यहाँ आने की इच्छा हो जाती
है। जैस...
5 weeks ago
1 comments:
dekha-Adbhut.
Aapko janam din ki hardik badhai evam shubhkamnaayen. Mithai, Massab??
Post a Comment