कव्वे भी अब वैसे तो उतने देखने में नहीं आते जैसे पहले आते थे आजकल तो श्राद्ध पक्ष में लोग कववों को खिलाने के लिय उनको ढूंढते रहते हैं कि कहीं कव्वा मिल जाए तो उसको खाना खिलाया जा सके पर मध्य प्रदेश के सीहोर जिला मुख्यालय की इछावर तहसील के अस्पताल में एक ऐसा भी इमली का पेड़ है जिसमें जाने कैसा जादू हैं कि हजारों हजार कव्वे रोज यहां पर आते हैं । इन कववों से परेशान हस्पताल प्रशासन ने इनको भगाने के लिये काफी प्रयास किये हैं । पेड़ पर घंटियां टांग दी गई हैं खाली कनस्तर लटका दिये गए हैं ताकि रात को जब हजारों कव्वों का झु़ड इस रहस्यमय इमली के पेड़ पर उतरता है तों कनस्तर पीट कर या घंटियां बजा कर उनको भगाया जा सके । सूरज ढलते ही कौवों के झु़ड यहां आना शुरू हो जाते हैं । कौवे सुबह कहां जाते हैं कुछ पता ही नहीं चलता मगर ाअगली णाम वापस आ जाते हैं । हस्पताल प्रशासन के अनुसार हजारों की संख्या में आने वाले कववों के कारण मरीजों को कफी परेशानी होती हैं और साथ ही परिसर में गंदगी भी होती है । इसी के कारण ये कनस्तर टांगने और घंटियां बांधने का काम किया गया है । शाम होते ही हस्पताल के चपरासी बारी बारी से घंटियां और पीपे बजाने का काम करने लगते हैं और ये सिलसिला रात तक जारी रहता है । पेड़ काफी पुराना हे अत: उसको काटा नहीं जा सकता इसलिये मजबूर होकर ये कदम उठाना पड़ा है । शाम से जो पीपे और घंटियां बजाने का सिलसिला शुरू होता है तो रात दस बजे तक चलता रहता है । इमली का पेड़ जिस पर हजारों कव्वे शाम को रहस्यमय तरीके से आकर सुबह गायब हो जाते हैं वो इन दिनों घंटियों और पीपों के कारण किसी मंदिर का पेड़ नजर आ रहा है ।
आइए आज तरही मुशायरे को आगे बढ़ाते हैं मन्सूर अली हाश्मी जी के साथ, जो अपनी
दूसरी ग़ज़ल लेकर हमारे बीच उपस्थित हुए हैं
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आंशिक रूप से दीपावली का पर्व समाप्त हो जाता है। कहीं-कहीं यह कार्तिक
पूर्णिमा त...
2 weeks ago
2 comments:
अजब खबर है.
खबर तो अजी ब ही होती है तभी तो बिकती हे
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