और इन रावणों से भी तो मिल लीजिये जो अपने आप में कुछ खास हैं

रावण तो रावण है भला उसमें क्‍या खास है, मगर जान लीजिये कि रावण में भी खास होने लगा है ।

सीमेंट का रावण

जैसे पहले बात करें मध्‍य प्रदेश के सीहोर जिले के आष्‍टा में बनने वाले रावण की यहां का रावण पूरा कभी नहीं मरता है । अब ये अधूरा मरना भला क्‍या बला है । जी हां ये रावण पूरा इसलिये मरता नहीं है क्‍योंकि रावण तो दरअसल में एक सीमेंट कांक्रिट का बना हुआ पुतला है । ये पुतला एक सीमेंट के चबूतरे पर परमानेंट बना हुआ है और हर साल होता ये हैं कि इसी पुतले पर डेकोरेशन करके इसको रावण का रूप दे दिया जाता है और इस सजे धजे रावण को राम जी आग लगा देते हैं होता ये है कि राम जी के आग लगाने पर ऊपर का सज धज जो कि कागज और घास से किया जाता है वो तो जल जाता है पर अंदर का रावण वैसा का वैसा ही बचा रह जाता है । वो जल भी कैसे सकता है क्‍योंकि वो तो सीमेंट का है । सही भी है ये परंपरा वास्‍तव में यही बताने के लिये तो शुरू की गई है कि चाहे कुछ भी कर लो पर जब भी जलेगा तो ऊपर का घास फूस ही जलेगा हम सब के अंदर जो सीमेंट का रावण है वो भी कहीं जल सकता है ।

गाजर घास का रावण

ये रावण सीहोर में ही बनाया जाता है और इस रावण को बनाया जाता है बीमारी फैलाने वाली खरपतवार गाजर घास से । सीहोर के हाउसिंग बोर्ड में बनने वाला ये रावण गाजर घास से ही बनाया जाता है । गाजर घास का विशाल पुतला बनाने के लिये पूरी कालोनी के लोग कई दिनों तक मेहनत करके कोलोनी के आस पास उग रही गाजर घास को उखाड़ते हैं और फिर उसको रावण के पुतले के अंदर भर कर दशहरे के दिन जला देते हैं । रावण की साज सज्‍जा भी गाजर घास से ही की जाती है । गाजर घास से सजा धजा रावण जलाने के पीछे दो कारण हैं एक तो कालोनी की सफाई हो जाती है और बीमारी फैलाने वाली गाजर घास से मुक्ति मिल जाती है साथ में खर्चा भी बचता है । वैसे भी रावण का मतलब तो बुराई का प्रतीक ही है और गाजर घास से होने वाले नुकसान की बात की जाए तो इससे बड़ा रावण और कौन होगा । 

मिट्टी का रावण

ये रावण भी मालवा के अंचलों में बनाया जाता है और इसको दशहरे के दूसरे दिन गांव की सीमा के बाहर लेजा कर पत्‍थरों से मार मार कर नष्‍ट किया जाता है । इस रावण को पत्‍थरों से फूट सकने वाला ही बनाया जाता है और फिर उसको लेजाकर गांव की सीमा के बाह खड़ा कर दिया जाता है । इसके बाद पुजारी राम की पूजा करता है और पुजारी का इशारा मिलते ही बच्‍चे बूढ़े हाथ में पत्‍थर लेकर रावण पर बरसाने लगते हैं । देखते ही देखते रावण ढेर हो जाता है ।

तो देखा आपने कैसे कैसे रावण होते हैं । मगर बात तो वही है इतने तरह के रावण हर साल मरते हैं फिर भी रावण खत्‍म नहीं होते । हो भी कैसे रावण तो राम के हाथों ही मरता है और आजकल तो रावण को मारने के लिये बनाए गए मंच पर नेता ही बैठते हैं तो रावण भला रावण के हाथ से ही कैसे मर सकता है ।

2 comments:

काकेश said...

अच्छी जानकारी दी आपने रावणों के बारे में.धन्यवाद

http://kakesh.com

Udan Tashtari said...

अच्छी जानकारी दी. तीनों के ही विषय में ज्ञात न था.