पहले ऐसा होता नहीं था लेकिन अब तो ऐसा ही हो रहा है कि जिले स्तर की पत्रकारिता का मतलब अब हो गया है जिला कलेक्टर की गुड लिस्ट में स्थान पाना और उस लिस्ट में बने रहने का भरसक प्रयास करना । दरअसल में कलेक्टर पद अंग्रेजों के जमाने से ही सबसे शक्तिसंपन्न पद है जिले का मालिक वही होता है । और ऐसे में जाहिर सी बात है कि उसके आस पास रहना मतलब शक्ति के केन्द्र के आस पास रहना । पत्रकारिता एक ऐसी शै: है जिससे अंग्रेजों को भी खतरा था और अंग्रेजों की पद्धति पर ही काम करने वाले कलेक्टरों को भी रहता है । असल में तो सच्चाई को ना तो अंग्रेज सुनते थे और ना ही कलेक्टर सुनना पसंद करते हैं । कलेक्टर एक ऐसा पद है जो कि हमें याद दिलाता है कि हिटलरशाही का मतलब क्या होता है । पत्रकारिता का काम होता है मदमस्त गजराज के माथे पर एक छोटे से अंकुश के रूप में कार्य करना । मगर जैसा अंग्रेज करते थे वैसा ही करते हैं कलेक्टर भी पत्रकारिता को पंगू बना दो । और उस पर आज की पत्रकारिता जिसमें किसी भी नामालूम से समाचार पत्र की 10 कापियां बांटने वाला व्यक्ति पत्रकार हो जाता है उसमें तो ये और भी आसान काम है । अंग्रेज जानते थे कि विद्रोह की शुरूआत हमेशा ही कलम करती है और इसीलिये वे सबसे पहले कलम को मीत बना लेते थे । यद्यपि उस दौर में जो कि दादा माखनलाल जी और विद्यार्थी जी जैसे पत्रकारों का दौर था उसमें अंग्रेजों को बिकाऊ माल कम मिल पाता था मगर आज तो खूब है । राजस्व विभाग का ये मुखिया जिसे कि वास्तव में राजस्व एकत्र करने के कारण कलेक्टर कहा गया वो आज डीएम बन कर कितना शक्तिशाली हो गया है उसका हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते । और फिर आज का दौर जहां पर जिला स्तर की पत्रकारिता येन केन प्रकरेण कलेक्टर के आस पास रहना चाहती है उस दौर में जनता के हित की बात कौन उठाएगा । खैर ये बात तो बात मे निकल आई अब चलिये आज की समीक्षा पर ।
दैनिक भास्कर को समझ में आने लगा है कि अब हम एकाधिकार वाली हालत में हैं और अब अब तो अब हवाएं ही करेंगी रोशनी का फैसला जिस दिये में जान होगी वो दिया रह जाएगा वाली बात हो गई है । आज सीहोर का पेज मेहनत करके बनाया गया है और आज की विशेष्ता ये है कि आज भास्कर ने दो फोटो अच्छे लगाए हैं । आज का लीड बोवनी में बीज का टोटा एक अच्छा समाचार है जो कि समय पर लगा है । और उसीमें एक हल जोतते हुए किसान का अच्छा फोटो लगा है । कुल मिलाकर समाचार अच्छा बन पड़ा है । वहीं सैकेंड लीड में स्कैटिंग रैली का समाचार है जिसमें बच्चों को जल संरक्ष के लिये स्कैटिंग करते दिखाया है इस समाचार में एक बेहतरीन फोटो लगाया जा सकता था मगर नहीं लग पाया । कलेक्टर के स्थानांतरण और दो लीटर कैरोसिन के लिये घंटों इंतजार का समाचार भी लगा है । कुल मिलाकर आज भास्कर ने अपने को सुधारने के संकेत दिये हैं । मगर अभी बहुत लम्बा सफर बाकी है ।
नवदुनिया में आज मुख्यमंत्री के जावर आने का समाचार लीड है । जिसमें जावर को तहसील बनाने के संकेत दिये गए हैं । किताबें खोल देंगीं पोल एक रोचक समाचार है जिसमें बच्चों को बंटने वाली पुस्तकें यदि कबाड़ में बेची जाती हैं तो पकड़ में आ जाऐंगी एक रोचक जानकारी है । बरसते पानी में ट्रेन का इंतजार करने का रेवले स्टेशन की समस्या का अच्छा समाचार है तो सही पर उसमें जो फोटो लगा है वो समाचार की कहानी को पूरा नहीं कर पा रहा है अच्छा होता के खाली प्लेटफार्म की जगह पे पानी में भीगते यात्रियों का फोटो लगाया जाता । पटवारी के चयन का एक समाचार भी सही समय पर सही तरीके से लग गया है । कलेक्टर के स्थानांतरण को लेकर एक सचित्र समाचार कड़वे और मीठे पहलुओं को समेटते हुए लगा है जो कि आज के दिन की मांग था । कुल मिलाकर नवदुनिया ने आज अपने टैम्पो का बरकरार रखा है ।
पत्रिका में उसकी लांचिंग के बाद आज पहली बार कोई समाचार ठीक लगा है रिपोर्टर संजय धीमान की रिपोर्ट जिसमें बिजली कर्मचारियों द्वारा जान पर खेल कर काम किये जाने और खस्ताहाल सुविधाओं की बात है आज लीड है । और ये समाचार आंकड़ों के हिसाब से भी समृद्ध है । फोटो लेकिन अपने ही समाचार का समर्थन करता नज़र नहीं आता । मौत के साये में जी रहे लाइनमेन पहले तो ये हेडिंग ही गलत है होना था मौत के साये में काम कर रहे लाइनमेन और फिर फोटो में एक खुली डीपी का फोटो लगा है उससे लाइनमेन को खतरा नहीं है उससे तो आम जनता को खतरा है । होना ये था कि काम करते हुए किसी लाइनमेन का ।फोटो लगना था । फोटो और हेडिंग को छोड़ दें तो रिपोर्टर संजय धीमान ने अच्छी मेहनत की है । नीचे एक समाचार में पुन: गड़बड़ है हेडिंग लगा है शुजालपुर के समाचार मुआवजे का और फोटो लगा है बैंक आफ इंडिया में प्रमाणपत्र वितरण का, लगता है पत्रिका में ग़लतियों पर निगरानी रखने वाला कोई व्यक्ति नहीं रखा गया है । पत्रिका ने आज एक बड़ी चूक फिर की है और वो है सीहोर कलेक्टर के स्थानांतरण का उल्लेख सीहोर पेज पर नहीं होना । नवदुनिया ने जिस तरह का समाचार लगाया है वो पाठकों की पसंद होती है । हर पाठक सुबह जागते ही अपने पेज पर चाहता है कि जाने वाले कलेक्टर के कार्यकाल की समीक्षा पढ़े और आने वाले के बारे में जानकारी देखे ये दोनों ही काम पत्रिका नहीं कर पाया है । ये बड़ी चूकें पत्रिका अपने शुरू होने के बाद से ही कर रहा है और ये ही ग़लतियां उसे लक्ष्य से दिन ब दिन दूर करती जा रहीं हैं । लगता है पत्रिका का स्टाफ टेबुल न्यूज बनाने और लगाने में ज्यादा विश्वास रखता है ।
खैर आज फिर भास्कर और नवदुनिया कांटे की टक्कर में हैं और ये नहीं कहा जा सकता कि कौन 20 है और कौन 19 है । पत्रिका के बारे में कहा जा सकता है कि उसका सीहोर का पेज दिन ब दिन हो रही गलतियों के कारण दोड़ में नहीं आ पा रहा है ।
1 comments:
जारी रहिये.
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