कल के मेरे पोस्ट पर एक टिप्पणी मिली है जिसमें मुझे निर्देशित किया गया है कि मैं सनसनी फैलाने का काम नहीं करूं । निर्देशित करने वाले कोई जालिम जी हैं । मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि हिंदी की पीड़ा की बात करने का मतलब सनसनी फैलाना कहां से हो रहा है और मीडिया वाले जो भूत प्रेत नाग नागिन दिखा रहे हैं क्या वे जनहित के मुद्दे उठा रहे हैं अगर ऐसा ही है तो क्ष्मा करें मैं वैसा नहीं कर सकता हूं ।
चलिये बात करें इन दिनों पत्रकारों के अच्छे दिन आ गए हैं उसकी । मेरे ही शहर में अब पत्रकारों की सेलेरी भी पांच अंकों में पहुंच गई है । आज से पांच साल पहले कोई ऐसा सोच भी नहीं सकता था कि ऐसा होगा । उस पर हो ये भी रहा है कि पत्रकारों के भी थोक में स्थानांतरण हो रहे हैं । मेरे शहर में तीन माह पहले जो जिसे पेपेर में था उनमें से एक दो को छोड़कर सब कहीं और हो गए हैं । ऐसा नहीं है कि श्री आलोक मेहता ही आउटलुक से नवदुनिया में आए हैं हमारे पत्रकार भी इधर से उधर हो रहे हैं दो माह पहले शैलेष तिवारी जागरण में थे अब वे पत्रिका में हैं वसंत दासवानी अपना साप्ताहिक सीहोर एक्सप्रेस निकाल रहे थे अब वे नव दुनिया में हैं । संजय धीमान जागरण से पत्रिका और सूर्यमणी शुक्ला भास्कर से पत्रिका में आ गए हैं । नवदुनिया के ओम मोदी और महेंद्र सिंह ठाकुर अब अक्षर विश्व में हैं । योगेश उपाधयाय नव भारत से जागरण में चले गए हैं तो सुनील शर्मा राज एक्सप्रेस से जागरण में आए हैं । जय उपाध्याय नव भारत भोपाल से सीहोर आ गए हैं । जो नहीं बदले हैं उनमें स्तंभ लेखक भी हैं जो कि अभी भी क्षितिज किरण से जुड़े हैं।
खैर तो बात आज के समाचार पत्रों की भास्कर ने आज सीहोर में 15 दिनों का पानी शेष होने का लीड लगाया है और कोई विशेष या पठनीय समाचार भास्कर के चार पेजों में कहीं नहीं है । भास्कर को अभी भी गंभीरता से सोचना होगा कि यदि समाचार छापने प्रारंभ नहीं किये तो केवल विज्ञापन से चार पेज भर कर पाठक को मूर्ख बनाने का काम अब नहीं चलने वाला है । उस पर जो पूरे रंगीन पेज करने की घोष्णा की गई थी वो भी छलावा सिद्ध हुई है । तो बात वही है कि यदि भास्कर नहीं चेता तो उसके हिस्से की खीर नव दुनिया और पत्रिका बांट ले जाऐंगें ।
पत्रिका ने विदेशी समाचार पत्रो को बड़े फोटो छापने का जो पेटर्न लिये है वो कुछ खलता है क्योंकि पाठक समाचार पत्र को पढ़ने के लिये ले रहा है देखने के लिये नहीं । उस पर भी पत्रिका के समाचार शासकीय विभागों के आस पास ही ज्यादा घूम रहे हैं । आज भी कौन खा रहा है बच्चों का भोजन शीर्षक से जो समाचार लगा है वो कमोबेश यही है । प्रधानमंत्री सड़क योजना का समाचार जो लगा है वो भी उसी पृष्ठभूमि पर है । पत्रिका के साथ जो अभी दिक्कत आ रही है वो ये है कि पत्रिका में पठनीयता नहीं आ पा रही है । बात वही है कि केवल दर्शनीयता से पेपर नहीं चलता पेपर में पठनीयता होना ही चाहिये ।
नवदुनिया ने आज हवा में पेड़ और पोल उखड़ने का समाचार लीड किया है तो ब्रांडेड पैट्रोल को लेकर भी एक समाचार लगा है साथ ही बस जब्त होने पर पुलिस वालों के बीच हुई झूमा झटकी का समाचार भी चित्र के साथ लगा है जिसमें दो पुलिस वालों के बीच हो रही झूमा झटकी साफ दिख रही है । ये चित्र समाचार की जान बन पड़ा है । छत्तीस गढ़ के गृहमंत्री रामविचार नेताम जिनके पुत्र की पिछले माह दुर्घटना में मौत हो गई थी उनके सपत्नीक दुर्घटना स्थल पर आने और उनके भावुक हो जाने का समाचार नवदुनिया ने ठीक प्रकार लगाया है ये समचार नवदुनिया के अलावा केवल भास्कर और जागरण में ही लगा है पर वहां सूचनाप्रद ही लगा है । पत्रिका आज के इस महत्वपूर्ण समाचार में चूक गई है ।
राज एक्सप्रेस में भी आज जल संकट को लेकर ही लीड समाचार लगा है जिसमें शहर के जल संकट को लेकर हाहाकार मचने को लेकर फोटो समाचार लगा है शहर में 350 लीटर केरासिन एक कार से जब्त होने का समाचार वो समाचार है जो कि भास्कर, पत्रिका और नवदुनिया तीनों से ही चूक गया है जबकि राज ने फोटो के साथ शहर के मेन बाजार में जब्त कार का समाचार छापा है । हैरानगी की बात है कि मेन रोड पर कार में 350 लीटर कैरोसिन जब्त होने का समाचार तीन प्रमुख समाचार पत्रों को नहीं मिल पाया है ।
जागरण ने छत्तीस गढ़ के गृह मंच्ी के समाचार को फोटों के साथ लीड में लगाया है । इसके अलावा महाराणा प्रताप जयंती पर निकली शोभायात्रा को भी काफी प्रमुखता के साथ छापा है जिसमें यात्रा के दो चित्र भी लगे हैं । उसके अलावा सभी सामान्य प्रेस विज्ञप्तियां ही लगी हुईं हैं ।
कुल मिलाकर आज के पेजों की बात करें तो आज जब गृहमंत्री की आंखें नम हो गईं छत्तीस गढ़ के राज्य मंत्री का समाचार लगा कर नव दुनिया ने बाजी मारी है वहीं राज एक्सप्रेस ने भी मेन रोड पर 350 लीटर केरोसिन जब्ती का समाचार लगा कर आगे निकलने का प्रयास किया है मुख्य बात ये है कि मुख्य बाजार में हुई इस घटना को लेने में भास्कर नवदुनिया और पत्रिका तीनों चूके हैं जबकि राज ने फोटो के साथ छापा है ।
3 comments:
जालिम जी तो जुल्म ही करेंगे.
समाचार पत्रों की अच्छी समीक्षा चल रही है.आभार.
"कुछ तो लोग कहेँगेँ "
आप अपनी बातेँ, जारी रखिये ..
कोयी कुछ कह जाये
उसे मन पर ना लेँ --
- लावण्या
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