आपने हंस का मीडिया विशेषांक तो पढ़ा ही होगा, कई सारी बातें भी उस पर हो चुकी हैं, अब उसी तरह का एक और प्रयोग हो रह है आप वहां अपनी रचना भेज सकते हैं ।

हंस का ख़बरिया चैनलों की कहानियां काफी चर्चित रहा है और उसको लेकर काफी बहस की जा चुकी हैं । अब उसी तरह का एक प्रयोग साहित्‍य की एक और प्रतिष्ठित पत्रिका 'कथादेश' द्वारा भी किया जा रहा है । दिल्‍ली से श्री हरिनारायण जी के संपादन में निकलने वाली पत्रिका कथादेश का साहित्‍य के क्षेत्र में अपना एक स्‍थान है । सहयात्रा प्रकाशन के बैनर तले निकलने वाली पत्रिका कथादेश 28 वर्षों से अनवरत प्रकाशित हो रही है । कथादेश ने अब कथादेश का मीडिया विशेषांक निकालने का निर्णय लिया है। इस के लिये कथादेश ने मीडिया से जुड़े लोगों से अपने अनुभव टिप्‍पणी या किसी भी रूप मे आमंत्रित किये हैं । साथ में समाचार पत्रों के पाठकों, रेडियों के श्रोताओं और टेलीविज़न के दर्शकों से भी आलेख मांगें हैं । अधिकतम 500 शब्‍दों के ये आलेख आमंत्रित किये गए हैं । साथ ही मीडिया के सच को दिखाने वाली कहानियां, कविताएं संस्‍मरण भी प्रकाशन के लिये आमंत्रित किये गए हैं । कथादेश के अनुसार इस अंक में मीडिया के सभी पहलुओं पर ध्‍यान देन की कोशिश की जाएगी । अगर आप भी मीडिया से जुड़े हैं और आपके पास भी कोई कहानी या कविता या संस्‍मरण है तो आप भी वहां भेज सकते हैं । जिन सवालों को कथादेश के इस विशेषांक के माध्‍यम से उठाया जा रहा है वो इस प्रकार होंगे
1:- मीडिया क्‍या लोकतंत्र का चौथा स्‍तंभ रह गया है ।
2:- जिसे राष्‍ट्रवादी कहा गया वह मीडिया बाज़ार का हथियार कैसे बना ।
3:- पत्रकारिता संस्‍थान समाज के लिये पत्रकार निर्मित कर रहे हैं या फिर बाजार के बिचौलिये।
4:- राष्‍ट्रीय भाषाओं के साथ गांव ज्‍वार की कमजोर लुगाई की तरह व्‍यवहार किया जा रहा है ।
5:- सचुमच क्‍या युवाओं के लिये मीडिया में नौकरी की अपार संभावनाएं हैं या फिर सस्‍ते श्रमिक पैदा करने की योजना का हिस्‍सा है ये ।
6:- अपवाद को आम बताने जैसी मीडिया की कलाबाजी का रहस्‍य क्‍या है ।
इन सारी बातों को लेकर ही एक विशेषांक की योजना बनी है और इस में शामिल होंगें पत्रकार भी और वे भी जो समाचार चॅनलों या अखबारों के पाठक अथवा श्रोता हैं । उनमें से आप भी हो सकते हैं अगर आप भी पत्रकार हैं और आपके पास भी कहानी या संस्‍मरण हैं ( कहानी के लिये 500 शब्‍दों की बाध्‍यता नहीं हैं ) तो आप उन्‍हें कलम बद्ध करके कथादेश को भेज दें । अगर श्रोता हैं दर्शक हैं और कुछ कहना चाहते हैं तो अपनी बात कथादेश तक पहुंचाएं ।
बात केवल इसलिये क्‍योंकि हंस का विशेषांक आने के बाद कई लोगों को लगा कि अरे हमारे पास भी तो कुछ था हम तो चूक ही गए । अगर आप को कथादेश में कुछ भेजना है तो कृपया ब्‍लाग पर दिये गए मेरे ई मेल पते पर मुझे ई पत्र लिख दें मैं आपको कथादेश का पता रचना भेजने की अंतिम तिथी आदि के बारे में जानकारी प्रेषित कर दूंगा पर जल्‍दी करें क्‍योंकि विशेषांक को लेकर कार्य प्रारंभ हो चुका है । subeerin@gmail.com ये मेरा ई मेल पता है आप मुझे और जानकारी प्राप्‍त करने के लिये मेल कर सकते हैं ।

1 comments:

Udan Tashtari said...

अच्छी जानकारी दी. आपको ईमेल भेजा है. आभार सूचना के लिये.